Mysterious Birth Story of Guru Gorakhnath: स्त्री के गर्भ से नहीं हुआ था जन्म, ऐसे प्रकट हुए थे गुरु गोरखनाथ, नाथ योग परंपरा के महान प्रवर्तक

Edited By Updated: 18 Dec, 2025 10:04 AM

mysterious birth story of guru gorakhnath

Mysterious Birth Story of Guru Gorakhnath: हिंदू धर्म और योग परंपरा में गुरु गोरखनाथ का नाम अत्यंत श्रद्धा और रहस्य से जुड़ा हुआ है। उन्हें गोरक्षनाथ भी कहा जाता है। वे न केवल नाथ संप्रदाय के महान योगी थे, बल्कि ऐसे सिद्ध पुरुष माने जाते हैं जिनका...

Mysterious Birth Story of Guru Gorakhnath: हिंदू धर्म और योग परंपरा में गुरु गोरखनाथ का नाम अत्यंत श्रद्धा और रहस्य से जुड़ा हुआ है। उन्हें गोरक्षनाथ भी कहा जाता है। वे न केवल नाथ संप्रदाय के महान योगी थे, बल्कि ऐसे सिद्ध पुरुष माने जाते हैं जिनका जन्म भी सामान्य मानव की तरह नहीं हुआ। शास्त्रों और लोककथाओं के अनुसार, बाबा गोरखनाथ का जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नहीं, बल्कि एक दिव्य चमत्कार से हुआ था। यही कारण है कि उन्हें अलौकिक शक्तियों से युक्त सिद्ध योगी माना जाता है।

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रहस्यमयी और चमत्कारिक योगी थे गुरु गोरखनाथ
गुरु गोरखनाथ नाथ योग परंपरा के सबसे प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। उन्होंने भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित देवीपाटन क्षेत्र में कठोर तपस्या की थी। मान्यता है कि वहीं पाटेश्वरी शक्तिपीठ की स्थापना हुई। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर आज भी उनकी साधना और सिद्धियों का साक्षी है, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

जन्मकाल को लेकर विद्वानों में मतभेद
इतिहासकारों में गुरु गोरखनाथ के जन्मकाल को लेकर एकमत नहीं है। प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन के अनुसार उनका काल लगभग 9वीं शताब्दी (845 ई.) माना जाता है। हालांकि, शास्त्रीय दृष्टि से उनकी कथा ऐतिहासिक से अधिक आध्यात्मिक और पौराणिक मानी जाती है।

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गुरु मत्स्येन्द्रनाथ और दिव्य भभूत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, गुरु गोरखनाथ के गुरु मत्स्येन्द्रनाथ एक बार भिक्षाटन करते हुए एक गांव पहुंचे। वहां एक संतानहीन स्त्री ने उनसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। करुणा में आकर गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने उसे मंत्र-सिद्ध भभूत देकर निर्देश दिया कि वह उसका विधिपूर्वक प्रयोग करे। लेकिन अज्ञानवश उस स्त्री ने भभूत को गोबर में फेंक दिया।

गोबर से प्रकट हुए बालक गोरक्षनाथ
लगभग 12 वर्ष बाद, जब गुरु मत्स्येन्द्रनाथ पुनः उस गांव में आए, तो उन्होंने स्त्री से पुत्र के विषय में पूछा। सत्य जानकर वे उसे उस स्थान पर ले गए, जहां एक गाय गोबर से भरे गड्ढे के ऊपर खड़ी होकर उसमें दूध गिरा रही थी। गुरु के आवाहन करते ही उसी गोबर से एक तेजस्वी 12 वर्षीय बालक प्रकट हुआ। गाय (गौ) और गोबर द्वारा रक्षा होने के कारण उसका नाम गोरक्ष पड़ा, जो आगे चलकर गुरु गोरखनाथ कहलाए।

नाथ योग परंपरा की स्थापना
गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उस बालक को अपने साथ ले गए और उन्हें योग की दीक्षा दी। आगे चलकर गुरु गोरखनाथ ने नाथ योग परंपरा को व्यापक रूप दिया। योग के कठिन आसन, कुंडलिनी साधना, नादानुसंधान, षट्कर्म और प्राणायाम का व्यवस्थित ज्ञान उन्होंने ही समाज को दिया। उनके जटिल योग प्रयोगों को देखकर लोग कहा करते थे, “यह कैसा गोरखधंधा है”और यहीं से यह कहावत प्रचलित मानी जाती है।

गुरु गोरखनाथ केवल एक योगी नहीं, बल्कि योग, साधना और सनातन ज्ञान के महान स्तंभ थे। उनकी जन्मकथा आज भी श्रद्धा, रहस्य और आध्यात्मिक चेतना का अद्भुत उदाहरण मानी जाती है।

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