कैसे एक महामूर्ख बन गए देश के महानकवि, जीवनी सुन चकित रह जाएंगे आप

Edited By Jyoti,Updated: 08 Nov, 2019 05:05 PM

mahakavi kalidas jayanti 9th november 2019

हिंदू पंचांग पर दृष्टि से कार्तिक मास के शुरू होते ही त्यौहारों की मानो झड़ी ही लग जाती है। इसी बीच कल 09 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को महाकवि कालिदास जी का जन्मदिवस मनाया जाएगा।

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हिंदू पंचांग पर दृष्टि से कार्तिक मास के शुरू होते ही त्यौहारों की मानो झड़ी ही लग जाती है। इसी बीच कल 09 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को महाकवि कालिदास जी का जन्मदिवस मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव इनका जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार कालिदास शक्ल-सूरत से इतने सुंदर थे कि इन्हें विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में से एक माना जाता था।

इनके बारे में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार प्रारंभिक जीवन में कालिदास अनपढ़ और मूर्ख थे। परंतु पत्नी द्वारा अपमानिक किए जाने और इन्होंने घर से निकालाकर अपनी अयोग्यता को योग्यता में बदला और उसका विस्तार किया और एक दिन देश के महान महाकवि कालिदास बन गए। इनके महाकाव्य में रघुवंश के राजाओं की गाथाओं का वर्णन, शिव-पार्वती की प्रेमकथा और इनके पुत्र कार्तिकेय जी के जन्म का भी वर्णन मिलता है।
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अपनी रचनाओं से दिया राष्ट्रीय चेतना को स्वर  
इतिहास के पन्नों में किए वर्णन के अनुसार कालिदास को संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार का दर्जा प्राप्त है। इन्होंने अपनी रचनाओं में भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाया। कहा जाता है कि इनकी रचनाओं में भारतीय जीवन और दर्शन के विविध रूप और मूल तत्त्व निरूपित हैं।

अपनी इन विशेषताओं के कारण कालिदास राष्ट्र की समग्र राष्ट्रीय चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते हैं। कालिदास वैदर्भी रीति के कवि हैं और तदनुरूप वे अपनी अलंकार युक्त लेकिन सरल और मधुर भाषा के लिए विशेष रूप से आज भी जाने जाते हैं।

कालिदास से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के मुताबित कालिदास एक गया बीता व्यक्ति था, बुद्धि की दृष्टि से शून्य एवं काला कुरूप। एक बार जिस डाल पर बैठा था, उसी को काट रहा था। जंगल में उसे इस प्रकार बैठे देख राज्य सभा से विद्योत्तमा अपमानित पण्डितों ने उस विदुषी को शास्त्रार्थ में हराने व उसी से विवाह करवाने का षड्यन्त्र रचने के लिए कालिदास को श्रेष्ठ पात्र बनाया।

शास्त्रार्थ में अपनी कुटिलता से उसे मौन विद्वान् बताकर प्रत्येक प्रश्न का समाधान इस तरह किया कि विद्योत्तमा ने उस महामूर्ख से हार मान उसे अपना पति स्वीकार कर लिया।

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कैसे की इन्होंने अपने ज्ञान की वृद्धि
विवाह के पहले ही दिन जब उसे वास्तविकता का पता चला जो उसने उसे घर से निकाल दिया। धक्का देते समय जो वाक्य उसने उसकी भर्त्सना करते हुए कहे- वे उन्हें चुभ गए। जिसके बाद अपने मन में दृढ़ संकल्प अर्जित कर वह अपनी ज्ञान वृद्धि में लग गया। आज के समय में महामूर्ख कहे जाने वाले वहीं कालिदास महान कवि के तौर में जग में विख्यात हैं। कथाओं के अनुसार कालान्तर में यही महामूर्ख महाकवि कालिदास के रूप में प्रकट हुए और अपनी विद्वता की साधना पूरी कर उनका विद्योत्तमा से पुनर्मिलन हुआ था।

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