Masik Kalashtami 2022: आज गिफ्ट करें शराब और बन जाएं मालामाल

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Jan, 2022 09:51 AM

masik kalashtami

आज माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है, जो 25 जनवरी 2022 प्रातः 7 बजकर 48 मिन्ट पर आरम्भ होगी

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2022 Masik Kalashtami: आज माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है, जो 25 जनवरी 2022 प्रातः 7 बजकर 48 मिन्ट पर आरम्भ होगी और 26 जनवरी 2022 को प्रातः 6 बजकर 25 मिन्ट तक रहेगी। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा-अर्चना करने से साधक को काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है और हर प्रकार के डर से राहत का आर्शीवाद प्राप्त होता है। अकाल मृत्यु, रोग और अनायास भय से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन इनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और किसी प्रकार की तांत्रित क्रियाओं का असर नहीं हो पाता क्योंकि काल भैरव शिव का आंशिक अवतार हैं। जिनकी उत्पति भगवान शंकर से ही हुई है। यह दिन पापियों को दंड देने का दिन भी माना जाता है। जिस कारण से भगवान काल भैरव को दंडपानी भी कहा जाता है। काले कुत्ते को बाबा काल भैरव का वाहन होने के कारण उनका प्रतीक माना जाता है। 

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Kalashtami january 2022: सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देव आत्मा को समर्पित है। कृष्ण पक्ष की हर अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन आदि देव भगवान शंकर के अंशावतार काल भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। कालाष्टमी पर व्रत, पूजा, हवन और काल भैरव के प्रिय पदार्थों का भोग लगाने वालों को भैरव बाबा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 

Kaal bhairav katha काल भैरव जयंती कथा का महत्व 
एक बार त्रिदेवों में कौन श्रेष्ठ है, इस बात पर चर्चा चल रही थी और भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने हाथ में डंडा लिये अपना एक रूप प्रकट किया। जो क्रोधाग्नि में होने कारण काले रंग का था, जिसे भैरव कहा गया। इन्हें महाकालेश्वर और डंडाधिपति भी कहा जाता है। भगवान शिव के इस रूप को देखकर सभी देवी-देवताओं में भय का वातावरण हो गया। तब काल भैरव ने ब्रह्मा जी के पांच सिरों में से एक सिर काट दिया। जो कि ब्रह्मा कपाल नामक क्षेत्र पर गिरा। तब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से क्षमा मांगी। तब काल भैरव को उनके इस पाप के दंड स्वरूप काफी समय तक एक भिखारी के रूप में रहना पड़ा। इस प्रकार काफी वर्षां बाद इनका दण्ड समाप्त हुआ इसलिये काल भैरव जयंती को पाप का दण्ड मिलने वाला दिवस भी कहा गया है। 

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Kalashtami puja: काल भैरव की पूजा रात्रि के समय की जाती है। शिव, पार्वती एवं भैरव जी की पूजा एक साथ की जाती है। भैरव बाबा को तांत्रिकों के देवता भी कहा जाता है इसलिए रात्रि के समय इनकी पूजा की जाती है। इस दिन काले कुत्ते की भी पूजा की जाती है एवं उसे कई प्रकार से भोग भी लगाया जाता है। पूजा के समय काल भैरव की कथा सुनना अति आवश्यक माना गया है।

Kal bhairav mandir: वैष्णों देवी के मंदिर के पास एक भैरव मंदिर भी है। ऐसी मान्यता है कि जब तक भैरव नाथ के दर्शन नहीं किये जाते तब तक माता के दर्शनों का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी काल भैरव का एक मशहूर मंदिर है, जहां पर उनको शराब चढ़ाई जाती है। वहां पर यह मान्यता है कि शराब बाबा काल भैरव का प्रसाद है, जिसे कि बाबा काल भैरव ग्रहण भी करते हैं। 

Bhairav ke upay: आज शाम काल भैरव के मंदिर जाकर उन्हें भोग के रुप में शराब अर्पित करने से बहुत जल्द मालामाल हो जाएंगे। ऐसा ज्योतिष विद्वानों का मत है। 

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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