Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Jan, 2022 09:07 AM
माघ अमावस्या के दिन मौन रहने के व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए। धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है। कई लोग इस दिन
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Mauni Amavasya 2022: माघ अमावस्या के दिन मौन रहने के व्रत का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए। धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत करके अपने वश में करना ही मौन व्रत है। कई लोग इस दिन से मौन व्रत रखने का प्रण करते हैं। यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि कितने समय के लिए वह मौन व्रत रखना चाहता है।
Mauni Amavasya 2022 Upay: माघ मास की अमावस्या के दिन स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। माघ महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान होता है। इसमें स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं, निरोगी काया प्राप्त होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज, हरिद्वार समेत देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर स्नान होता है और लोग स्नान करके पुण्य प्राप्त करते हैं।
ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान और दान करने से इंसान के कई जन्मों के पाप मिट जाते हैं इसलिए मौनी अमावस्या के दिन लोग स्नान करने के लिए पवित्र नदियों के घाट पर जाते हैं। मौनी अमावस्या को स्नान आदि करने के बाद मौन व्रत रखकर एकांत स्थल पर जाप आदि करना चाहिए। इससे चित्त की शुद्धि होती है। आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। मौनी अमावस्या के दिन भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा की जाती है।
मौनी अमावस्या के दिन सुबह नदी, सरोवर या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देें। जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए। इसके अलावा इस दिन सूर्य नारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
इस दिन व्रत रखकर जहां तक संभव हो मौन रहना चाहिए। गरीब व भूखे व्यक्ति को भोजन अवश्य कराएं।
अनाज, वस्त्र, तिल, आंवला, कंबल, पलंग, घी और गौ शाला में गाय के लिए भोजन का दान करें।
आप अमावस्या के दिन गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान भी कर सकते हैं।
हर अमावस्या की भांति माघ अमावस्या पर भी पितरों को याद करना चाहिए। इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन ब्रह्मदेव और गायत्री का भी पूजन विशेष फलदायी होता है। अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है या जन्म कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने में विशेष फल की प्राप्ति होती है। कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।
इसके अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना एवं दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
मौनी अमावस्या के दिन भी लोग स्नान के बाद पितरों को तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करते हैं। पितरों की आत्म तृप्ति के लिए ऐसा किया जाता है। जिनको पितृ दोष होता है, वे लोग अमावस्या के दिन ये सब उपाय करते हैं तो इससे पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंश को आगे बढ़ने एवं सुखी जीवन का आशीष देते हैं।
गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com