Motivational Concept: सकारात्मक कार्यो में लगाएं अपना जीवन

Edited By Jyoti,Updated: 01 Apr, 2021 12:14 PM

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​​​​​​​दुनिया के महान यूनानी दार्शनिक सुकरात एक दिन भोज खाने कहीं जा रहे थे। जब भोज खाकर वापस लौट रहे थे तो रास्ते में ही उनके सोफिस्ट

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दुनिया के महान यूनानी दार्शनिक सुकरात एक दिन भोज खाने कहीं जा रहे थे। जब भोज खाकर वापस लौट रहे थे तो रास्ते में ही उनके सोफिस्ट (यूनानी निजी शिक्षक) गुरु जी का घर पड़ता था। उन्होंने सोचा कि वैसे तो गुरु जी से मिलने का वक्त मिलता ही नहीं, क्यों न इस वक्त का फायदा उठाते हुए गुरु जी से भी मिल लें। सुकरात ने वैसा ही किया। उनके गुरु उस समय लगभग 100 वर्ष के हो चुके थे। जाते ही सुकरात ने अपने गुरु को सादर प्रणाम किया।

तत्क्षण गुरु ने भी उन्हें आशीर्वाद दिया। उसके बाद सुकरात ने अपने गुरु से पूछा, ‘‘गुरु जी! क्या आपको यह बुढ़ापा भार स्वरूप नहीं लगता?’’ गुरु ने उत्तर दिया, ‘‘नहीं।’’ तब फिर सुकरात ने पूछा, ‘‘क्यों?’’

गुरु ने पुन: जवाब दिया, ‘‘क्योंकि मैंने वैसे भी जवानी को कभी महत्व नहीं दिया, अत: बुढ़ापा मुझे आज भार स्वरूप नहीं लगता है।’’

सुकरात अपने गुरु की बात सुनकर बहुत प्रभावित हुए। सचमुच जवानी सिर्फ भोग-विलास का ही समय नहीं होता, अपितु इस अवस्था का समय सकारात्मक कार्यों में लगाना चाहिए। जीवन तभी सफल होगा। यही जवानी का महत्व है।

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