Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Jan, 2024 11:03 AM
पंजाब के एक छोटे से गांव में एक सीधा-सादा लड़का था गंगाराम। जब उसने मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली तो परिवार वालों ने उसे नौकरी करने के लिए उसके चाचा
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Motivational Story: पंजाब के एक छोटे से गांव में एक सीधा-सादा लड़का था गंगाराम। जब उसने मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली तो परिवार वालों ने उसे नौकरी करने के लिए उसके चाचा के पास शहर भेज दिया। वह शहर में इंजीनियर के कार्यालय में काम कर रहे अपने चाचा के पास नौकरी के लिए कहने गया। जब वह उनके कार्यालय में पहुंचा तो वहां उसके चाचा नहीं मिले क्योंकि वह इंजीनियर के साथ दौरे पर गए थे। गंगाराम तो गांव का लड़का था। ऑफिस में उसे जो कुर्सी सबसे बढ़िया दिखाई दी, वह उसी पर बैठ गया।
कुछ देर बाद चपड़ासी अंदर आया और उसने एक गंवार लड़के को इंजीनियर की कुर्सी पर बैठे देखा तो क्रोध से तमतमा कर बोला, “तुझे पता भी है यह किसकी कुर्सी है ?
चल उठ यहां से। इस पर बैठने का साहस भी तूने कैसे किया ? यह तो हमारे साहब की कुर्सी है।”
इतना अपमान होने के बाद गंगाराम क्या करता, उसे उठना पड़ा। परन्तु उसे इस अपमान से बेहद पीड़ा हुई और उसने उसी समय प्रतिज्ञा की कि वह इंजीनियर बनकर ही रहेगा। जब उसकी अपने चाचा से मुलाकात हुई और उन्होंने उसके आने का कारण पूछा तो गंगाराम बोला, “चाचा जी, मैं आया तो नौकरी की तलाश में था, पर अब तो आपके पास रहकर पढ़ूंगा।”
सारी बात सुनकर चाचा बहुत खुश हुआ। उन्होंने भी गंगाराम का साहस बढ़ाया और गंगाराम ने भी मन लगाकर पढ़ाई की। अपनी लगन और बेहद मेहनत के बल पर उसने प्रथम श्रेणी में इंजीनियरिंग की परीक्षा उत्तीर्ण की। वह इंजीनियर ही नहीं बने अपितु ‘सर’ की उपाधि भी प्राप्त की और देश में नाम भी कमाया।