Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Oct, 2022 01:15 PM
प्लॉट पर पूजा के बाद सर्वप्रथम भूमिगत पानी की टंकी और उसके बाद सोक पीट, चेम्बर इत्यादि बनाएं इससे भवन निर्माण में पैसों की दिक्कत नहीं आती है। प्रभु कृपा से कहीं से भी व्यवस्था
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
New Home Making Tips: ध्यान रखें यदि आपका प्लॉट पूर्वमुखी हो तो, पूर्व ईशान में, दक्षिणमुखी है तो दक्षिण आग्नेय में, पश्चिममुखी है तो पश्चिम वायव्य में और उत्तरमुखी हो तो उत्तर ईशान में मुख्यद्वार रखकर भवन निर्माण करें। यदि पूर्व में पूर्व आग्नेय, दक्षिण में दक्षिण नैऋत्य, पश्चिम में पश्चिम नैऋत्य और उत्तर में उत्तर वायव्य में रखना मजबूरी हो तो ऐसी स्थिति में प्लॉट को छोड़ देना ही समझदारी है क्योंकि इन स्थानों पर मुख्यद्वार होने पर वास्तुनुकूल भवन निर्माण हो ही नहीं सकता। मुख्यद्वार की यह स्थिति छोटे प्लॉट के लिए है जहां प्लॉट के किसी कोने में ही मुख्यद्वार रखना पड़ता है।
Vastu Points to Follow While Constructing A House: प्लॉट पर पूजा के बाद सर्वप्रथम भूमिगत पानी की टंकी और उसके बाद सोक पीट, चेम्बर इत्यादि बनाएं इससे भवन निर्माण में पैसों की दिक्कत नहीं आती है। प्रभु कृपा से कहीं से भी व्यवस्था हो जाती है। इसमें भरे पानी को भवन निर्माण के दौरान उपयोग में लाएं। सभी प्रकार के टैंक के साईज लम्बाई, चौड़ाई एवं गहराई 4, 6, 8, 10, 11, 16, 17, 20, 21 फीट आकार में रख सकते हैं। ध्यान रहे यह माप तैयार टैंक के अंदर का है, जैसे 4’X6’X6’, 6’X6’X6’, 4’X10’X8’ साथ ही यह भी ध्यान रखें कि सभी प्रकार के टैंक के ऊपर का स्लैब उसके पास की जमीन के लेवल के बराबर होना चाहिए। किसी भी हालात में टैंक का स्लैब पास की जमीन के लेवल से ऊंचा नहीं होना चाहिए और उनमें लगने वाले पाइप भी जमीन के अंदर ही रहे।
भूमिगत पानी की टंकी की सफाई के लिए 2’X2’ ढ़क्कन टंकी के वायव्य कोण या ईशान कोण में लगाना चाहिए। कभी-भी नैऋत्य कोण या आग्नेय कोण में नहीं लगाना चाहिए।
भवन के आंगन, बरामदा, प्रत्येक कमरे, टॉयलेट बाथरूम सहित आदि के फर्श का लेवल इस प्रकार रखें कि साफ-सफाई के दौरान बहने वाला जल दक्षिण, पश्चिम और नैऋत्य से ईशान, उत्तर या पूर्व की ओर बहे या फर्श समतल रखें। ऐसा न हो कि भविष्य में सड़क का बार-बार डामरीकरण होने के कारण सड़क ऊंची हो जाए और प्लॉट घर नीचा हो जाए।
टॉयलेट का पानी बाहर कमरों में न आए उसके लिए कमरे और टॉयलेट के दरवाजे पर लगभग 2 इंच चौड़ी पत्थर की पट्टी लगा दे।
प्लॉट की जमीन का लेवल यदि सड़क पक्की हो तो कम से कम 1 फीट ऊंचा रखे और कच्ची हो तो 2 फीट ऊंचा रखे और भवन का लेवल प्लॉट के लेवल से कम से कम डेढ फीट ऊंचा रखे और यदि बेसमेंट बनाए तो ढाई से तीन फीट ऊंचा रखें।
प्लॉट के खुले भाग एवं छत का बरसाती पानी उत्तर दिशा, पूर्व दिशा या ईशान कोण से बाहर निकलना चाहिए।
बेडरूम, हाल, किचन, टॉयलेट आदि सभी जगह क्रॉस वेटिंलेशन के लिए रोशनदान अवश्य रखें। साथ ही आवश्यकता अनुसार खिड़कियां भी लगाएं। सम्भव हो तो टॉयलेट में एग्जॉस्ट फैन जरूर लगाएं।
दरवाजे और खिड़कियों को बरसात के पानी से बचाने के लिए ड़ेढ़-दो फीट के छज्जे बाहर निकाले जा सकते हैं। छज्जों का यह बढ़ाव किसी प्रकार का वास्तुदोष उत्पन्न नहीं करता है।
टॉयलेट और बाथरूम में सामान रखने के लिए दो छत्ती नहीं बनाना चाहिए। टॉयलेट और बाथरूम की छत की ऊंचाई घर की शेष छत के बराबर ही रखें।
ध्यान रहे किसी भी कमरे, टॉयलेट, बाथरूम की दीवार पर टांट व आले न बनाये। दीवार सीधी रखें। केवल स्टोर और किचन के अंदर दक्षिण और पश्चिम की दीवार पर डे़ढ़ दो फीट के टांट बना सकते हैं।
यदि प्लॉट में जगह हो तो दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थित कम्पाउण्ड वाल के अंदर व बाहर बड़े पेड़ लगा दें जो भविष्य में जाकर वास्तुनुकूलता को बढ़ाने में अत्यधिक सहायक होंगे। उत्तर तथा पूर्व दिशा में केवल लॉन बनाया जा सकता है। ध्यान रहे उत्तर तथा पूर्व दिशा में ऐसा कोई भी पौधा न लगाएं जो कम्पाउण्ड वॉल के ऊपर जाए।
वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com