Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Aug, 2021 07:46 AM
भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में एकादशियों का बहुत महत्व है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं और इनके व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में
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Shravana Putrada Ekadashi: भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में एकादशियों का बहुत महत्व है। प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं और इनके व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को तो अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इसे पुत्रदा एकादशी, श्रावण एकादशी व पवित्रा एकादशी कहा जाता है। इस बार यह एकादशी 18 अगस्त 2021, बुधवार को आ रही है।
हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि इस एकादशी के दिन व्रत करने से नि:संतान दंपतियों को उत्तम संतान सुख मिलता है। अपनी संतान की सुख-समृद्धि की कामना से किए गए इस व्रत का शुभ फल मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि यदि नि:संतान दंपती पवित्रा एकादशी का व्रत करे तो उन्हें उत्तम गुणों वाले पुत्र संतान की प्राप्ति होती है इसलिए इसे पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। यही नहीं , शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि जन्म के बाद जिन लोगों की संतानें जीवित नहीं रहती, उन्हें यह व्रत जरूर करना चाहिए।
Shravana putrada ekadashi vrat vidhi: व्रत की विधि- यह भी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उसे वाजपेय यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा उसके जीवन से सारे अभाव समाप्त हो जाते हैं। इस एकादशी को पूरे विधि-विधान के साथ भगवान नारायण की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस व्रत की विधि बताते हुए कहा गया है कि व्रत करने से पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करके , स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के बाद भगवान नारायण की पूजा करें। धूप-दीप नेवैद्य लगाएं। तुलसी पत्र अर्पण करें और दिन भर निराहार रहते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। सायंकाल में एक बार फिर पूजा करें, व्रत की कथा सुनें और फलाहार ग्रहण करें। दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर, दान देकर व्रत खोलें।
अगर पूरी मर्यादा, पवित्रता और विधि-विधान के साथ यह व्रत किया जाता है तो यह एकादशी समस्त भौतिक सुख, धन-संपत्ति और ऐश्वर्य प्रदान करती है। इसके अलावा अगर हम यह व्रत आध्यात्मिक उन्नति की कामना से करते हैं तो हमें अपने मनोरथ में अवश्य सफलता मिलती है।
विशेष- शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के दिन भूलकर भी तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
इस रोज़ गरीब ब्राह्मणों को दान देना कल्याणकारी माना जाता है।
गुरमीत बेदी
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