Kundli Tv- OMG! कुंती के साथ सूर्य देव ने ये क्या किया?

Edited By Jyoti,Updated: 22 Sep, 2018 12:35 PM

realtionsip of surya dev and kunti

जब भी कर्ण की बात चलती है, तो ज्यादातर लोग कुंती को बुरा-भला बोलने लगते हैं। क्योंकि बहुत से एेसे लोेग हैं, जिन्हें लगता है कि कर्ण के साथ उसके बचपन से ही नाइंसाफी हुई। लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो जानते होंगे कि असलियत में कुंती एख साजिश का शिकार हुई...

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें Video)
जब भी कर्ण की बात चलती है, तो ज्यादातर लोग कुंती को बुरा-भला बोलने लगते हैं। क्योंकि बहुत से एेसे लोेग हैं, जिन्हें लगता है कि कर्ण के साथ उसके बचपन से ही नाइंसाफी हुई। लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो जानते होंगे कि असलियत में कुंती एख साजिश का शिकार हुई थी, जिसके चलते उसे जन्म होते ही अपने पुत्र का त्याग करना पड़ा था। 
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यहां जानें कुंती और सूर्य देवता के बीच हुए उस अद्भुत संवाद के विषय में जो महाभारत पुराण में वर्णित है। आखिर कुंती के साथ ही ऐसा क्यों हुआ। कैसे वो इतनी छोटी उम्र में मां बन गई। कैसे उसने छुपाया अपना गर्भ और क्यों सूर्य देवता ने किया था कुंती के साथ ये दुराचार? 


दुर्वासा ऋषि घर आए तो बालपन से ही सद्गुणी कुंती ने पिता की आज्ञा से उनकी खूब सेवा की, जाते समय दुर्वासा ने कुछ मांगने बोला पर कुंती ने कुछ भी मांगने से मना कर दिया था। तब दुर्वासा ने जबरदस्ती उसे वशीकरण मंत्र दिया था जिसके उच्चारण मात्र से देवता तक वश में हो जाते थे। 

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एक दिन अकेले अपने शयन कक्ष में बैठी कुंती उस वरदान के बारे में सोच रही थी और तभी उनकी नज़र सूर्य भगवान् पर पड़ी, कौतूहल में कुंती ने सूर्य को देखते हुए उस मंत्र का उच्चारण कर दिया और सूर्य देवता तुरंत ही प्रकट हो गए। मान्यता के अनुसार कुंती ने उनसे पुत्र के लिए आह्वान नहीं किया था। असल में सूर्य को देखते हुए वह अनजाने में उस वशीकरण मंत्र का उच्चारण कर बैठी थीं। 


सूर्य के पूछने पर कुंती ने वशीकरण उच्चारण को अपना अपराध माना और सूर्य को वापस जाने के लिए बोला लेकिन तब सूर्य ज़िद पर अड़ गए क्योंकि बिना पुत्र दिए जाने पर उनका तेज कमज़ोर साबित हो जाता। तब कुंती ने कहा की अभी तो मैं एक बच्ची हूं इस सूरत में ये सब कैसे संभव है?

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तब सूर्य ने कुंती की नाभि को छू लिया जिससे वो तुरंत ही रजस्वला हो गई, उसके बाद सूर्य देव ने नाभि से कुंती के गर्भ में प्रवेश किया और वंहा मंत्रों द्वारा अपने पुत्र (कर्ण) को स्थापित किया और तुरंत बाहर निकल आए। जाते समय सूर्य ने कुंती से कहा कि कर्ण के जन्म से तुम्हारा कौमार्य भंग नहीं होगा और तुम पवित्र ही रहोगी। 


तब कुंती ने जाते हुए सूर्य से क्षमा मांगी और अपनी भूल का अंजाम पूछा, तब सूर्य ने कहा कि इसमें तुम्हारी कोई भूल नहीं है। हम देवताओं में होड़ मची है कि धरती के क्षत्रियों को स्वर्ग कैसे लाया जाए इसलिए मैंने पहल करते हुए कर्ण (ताकि वो क्षत्रियों का विनाश कर सके) को पैदा किया है, आगे और भी देवता अपना काम करेंगे।


कुंती के मन में सूर्य को देख कर मंत्र बोलने का विचार भी देवताओं ने ही उपजाया था, तब अपने पिता (कुंती भोज जिन्होंने उन्हें गोद लिया था और जिन्होंने उसे पैदा किया था प्रथा) को शर्मिंदगी से बचाने के लिए बड़ी चतुराई से अपना गर्भ छिपाया (सूर्य के प्रताप से) और पैदा होते ही कर्ण को नदी में बहा दिया था। 
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