Religious Context: श्री कृष्ण के नाम का चमत्कार, कर देगा आपको भी हैरान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Aug, 2023 10:39 AM

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वृंदावन से एक गोपी प्रतिदिन दूध-दही बेचने मथुरा जाती थी। एक दिन ब्रज में एक संत कथा करने आए। वो गोपी भी उनकी कथा सुनने गई। संत ने

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Religious Katha: वृंदावन से एक गोपी प्रतिदिन दूध-दही बेचने मथुरा जाती थी। एक दिन ब्रज में एक संत कथा करने आए। वो गोपी भी उनकी कथा सुनने गई। संत ने कथा में कहा भगवान के नाम की बड़ी महिमा है। इस नाम का जाप करने से बड़े से बड़े संकट टल जाते हैं। नाम तो भव सागर से तारने वाला है, यदि भव सागर से पार होना है तो भगवान का नाम कभी मत छोड़ना।

कथा समाप्त होने के बाद वो गोपी अगले दिन फिर से दूध बेचने चली गई। उसी बीच रास्ते में यमुना जी थी। इसको देखकर गोपी को संत की बात याद आ गई कि संत ने कहा था भगवान का नाम तो भवसागर से पार लगाने वाला है। उसने सोचा जिस भगवान का नाम भवसागर से पार लगा सकता है तो क्या उन्हीं भगवान का नाम मुझे इस साधारण सी नदी से पार नहीं लगा सकता ?

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इसी निस्वार्थ भाव के साथ गोपी भगवान का नाम लेकर यमुना जी की ओर आगे बढ़ गई। अब जैसे ही उसने यमुना जी में पैर रखा तो लगा मानो जमीन पर चल रही है और ऐसे ही वो सारी नदी पार कर गई। दूसरे पार पहुंचकर उसे बहुत ही प्रसन्नता हुई और मन ही मन सोचने लगी कि संत ने तो ये तो बड़ा अच्छा तरीका बताया पार जाने का अब रोज-रोज नाविक को भी पैसे नहीं देने पड़ेंगे।

एक दिन गोपी ने विचार किया की संत ने मेरा इतना भला किया मुझे उन्हें खाने पर बुलाना चाहिये। अगले दिन गोपी जब दही बेचने गई, तब संत से घर में भोजन करने को कहा संत तैयार हो गए। अब बीच में फिर यमुना नदी आई।

संत नाविक को बुलाने लगा तो गोपी बोली, ''बाबा ! आप नाविक को क्यों बुला रहे है, हम ऐसे ही यमुना जी में चलेंगे।''

संत बोले, ''गोपी ! कैसी बात करती हो, यमुना जी को ऐसे ही कैसे पार करेंगे ?''

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गोपी बोली, '' बाबा ! आपने ही तो कथा में कहा था कि भगवान का नाम लेकर भवसागर को भी पार किया जा सकता है। तो मैंने सोचा जब भवसागर से पार हो सकते हैं तो यमुना जी से पार क्यों नहीं हो सकते ? मैं ऐसा ही करने लगी इसलिए मुझे अब नाव की जरुरत नहीं पड़ती। ''

संत को ये सुनकर विश्वास नहीं हुआ और वो गोपी को कहने लगे,  ''पहले तू चल, मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आता हूं।

गोपी रोजाना की तरह नाम का आश्रय लेकर यमुना जी को पार कर गई। गोपी को देखने के बाद जैसे ही संत ने यमुना जी में पैर रखा तो झपाक से पानी में गिर गए। ये देखकर संत बहुत हैरान हो गए। अब गोपी ने जब देखा तो कि संत तो पानी में गिर गए हैं, तब गोपी वापिस आई और संत का हाथ पकड़कर जब चली तो संत भी गोपी की भांति ही ऐसे चले जैसे जमीन पर चल रहे हों।

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ये चमत्कार देखने के बाद संत उस गोपी के चरणों में गिर गए और कहने लगे कि गोपी तू धन्य है। वास्तव में तो सही अर्थों में नाम का आश्रय तो तुमने लिया है और मैं जिसने नाम की महिमा बताई तो सही पर स्वयं नाम का आश्रय नहीं लिया।

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