Religious Katha: जीवन में संतोष चाहते हैं तो बौद्ध संघ की अर्थनीति अपनाएं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jan, 2022 11:14 AM

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राजा उदयन की रानी ने बौद्ध संघ को 500 चादरें दान दीं। उन्हें ले जाने के लिए प्रधान भिक्षु

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Religious Katha- राजा उदयन की रानी ने बौद्ध संघ को 500 चादरें दान दीं। उन्हें ले जाने के लिए प्रधान भिक्षु आयुष्मान आनंद जब राजमहल पहुंचे तो राजा ने उनका समुचित सत्कार किया और भेंट के वस्त्र वाहन पर लादकर उनके साथ भिजवाने की व्यवस्था कर दी। जब आयुष्मान आनंद चलने लगे तो राजा ने जिज्ञासा की निवृत्ति के लिए विनीत शब्दों में पूछा, ‘‘भंते, इतनी चादरों का आप लोग क्या करेंगे?’’

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उत्तर में आयुष्मान ने कहा, ‘‘जिन भिक्षुओं के चीवर (वस्त्र) फट गए हैं, उनमें इनको वितरित करेंगे।’’

प्रश्रोत्तर का सिलसिला आगे चल पड़ा। उदयन पूछते गए और आनंद उत्तर देते गए।

‘‘भिक्षु लोगों के फटे-पुराने चीवरों का क्या होगा?’’ ‘‘उनसे बिछौनों की चादरें बनाएंगे।’’ 

‘‘बिछौनों की जो फटी-पुरानी चादरें उतरेंगी उनका क्या होगा?’’ ‘‘उनमें से छांटकर तकियों के गिलाफ बनाए जाएंगे।’’ 

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‘‘फिर पुराने गिलाफों का क्या होगा?’’  ‘‘उनको जोड़कर गांठकर गद्दी का भराव और झाड़न का प्रयोजन पूरा किया जाएगा।’’ 

‘‘पुराने भराव और झड़नों का क्या होगा?’’ ‘‘उन्हें गारे में कूटकर इमारतों पर किए जाने वाले लेप में उपयोग कर लिया जाएगा।’’

राजा उदयन को बौद्ध संघ की अर्थनीति का पूरा संतोष हो गया और उन्होंने अपनी राज्य-व्यवस्था में भी उसी स्तर की मितव्ययता एवं वस्तुओं को रद्दी न जाने देने की आज्ञा जारी कर दी।

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