Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jun, 2018 04:07 PM
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के दंडकारण्य क्षेत्र स्थित सकल नारायण गुफा में एक परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। स्थानीय निवासियों और जनश्रुतियों के अनुसार यह गुफा भगवान श्रीकृष्ण की ससुराल है और अपने श्वसुर जामवंत को दिए वचन को पूरा करने के लिए अधिक...
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छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के दंडकारण्य क्षेत्र स्थित सकल नारायण गुफा में एक परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। स्थानीय निवासियों और जनश्रुतियों के अनुसार यह गुफा भगवान श्रीकृष्ण की ससुराल है और अपने श्वसुर जामवंत को दिए वचन को पूरा करने के लिए अधिक मास में भगवान कृष्ण इस गुफा में आते हैं।
भोपलपटनम तहसील से 12 कि.मी. दूर पोषडपल्ली की पहाडिय़ों में सकल नारायण की गुफा स्थित है। इसके पड़ाव में चिंतावागु नदी पड़ती है। जिस पहाड़ पर गुफा मौजूद है स्थानीय लोग उसे गोवर्धन पर्वत कहते हैं। आमतौर पर गुफाओं का मुख्य मार्ग संकरा और छोटा होता है किंतु इसके विपरीत सकल नारायण का प्रवेश द्वार लगभग बीस फुट ऊंचा तथा दस फुट चौड़ा बताया गया है। गुफा के अंदर घुप्प अंधेरा रहता है। इस गुफा का संबंध रामायण काल से महाभारत काल तक बताया जाता है।
रीछराज जामवंत नामक एक चरित्र त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के साथ थे तो द्वापर में वे जामवंत ही भगवान कृष्ण के श्वसुर भी थे। रावण के मारे जाने के बाद एक बार जामवंत ने भगवान श्रीराम से युद्ध करने की इच्छा जाहिर की। तब भगवान श्रीराम ने कहा कि जामवंत आपकी यह इच्छा मेरे अगले अवतार में अवश्य पूरी होगी।
इस संदर्भ में एक कथा मिलती है कि एक बार सत्राजित ने भगवान सूर्य की उपासना की जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने अपनी स्यमंतक नाम की मणि उसे दे दी। एक दिन जब कृष्ण साथियों के साथ चौसर खेल रहे थे तो सत्राजित स्यमंतक मणि मस्तक पर धारण किए उनसे भेंट करने पहुंचे। उस मणि को देखखर कृष्ण ने सत्राजित से कहा कि तुम्हारे पास इस आलौकिक मणि का वास्तविक अधिकारी तो राजा है इसलिए तुम इस मणि को हमारे राजा उग्रसेन को दे दो। यह बात सुन सत्राजित बिना कुछ बोले ही वहां से उठकर चले गए। सत्राजित ने उसे स्यमंतक मणि को अपने घर के मंदिर में स्थापित कर दिया। वह मणि रोजाना आठ भार सोना देती थी। जिस स्थान में वह मणि होती थी, वहां के सारे कष्ट स्वयं ही दूर हो जाते थे।
एक दिन सत्राजित का भाई प्रसेनजित उस मणि को पहनकर घोड़े पर सवार हो आखेट के लिए गया। वन से प्रसेनजित पर एक सिंह ने हमला कर दिया, जिसमें वह मारा गया। सिंह अपने साथ मणि भी लेकर चला गया। उस सिंह को रीछराज जामवंत ने मारकर वह मणि प्राप्त कर ली और अपनी गुफा में अपने बालक को दे दी, जो उसे खिलौना समझ उससे खेलने लगा।
जब प्रसेनजित लौटकर नहीं आया तो सत्राजित ने समझा कि उसके भाई को कृष्ण ने मारकर मणि छीन ली है। कृष्ण जी पर चोरी के संदेह की बात पूरे द्वारिकापुरी में फैल गई। अपने ऊपर लगे कलंक को मिटाने के लिए वह नगर के प्रमुख यादवों को साथ लेकर रथ पर सवार हो स्यमंतक मणि की खोज में निकले। वन में उन्होंने घोड़े सहित प्रसेनजित को मरा हुआ देखा पर मणि का कहीं पता नहीं चला। वहां निकट ही सिंह के पंजों के चिन्ह थे। सिंह के पदचिन्हों के सहारे आगे बढऩे पर उन्हें मरे हुए सिंह का शरीर मिला।
वहां रीछ के पैरों के पदचिन्ह भी मिले जो एक गुफा तक गए थे। जब वे उस भयंकर गुफा के निकट पहुंचे तब श्रीकृष्ण ने यादवों से कहा कि तुम लोग यहीं रुको। मैं इस गुफा में प्रवेश कर मणि ले जाने वाले का पता लगाता हूं। इतना कहकर वह सभी यादवों को गुफा के मुख पर छोड़ उस गुफा के भीतर चले गए। वहां जाकर उन्होंने देखा कि वह मणि एक रीछ के बालक के पास है, जो उसे हाथ में लिए खेल रहा था। श्रीकृष्ण ने उस मणि को उठा लिया। यह देखकर जामवंत अत्यंत क्रोधित होकर श्रीकृष्ण की ओर लपके। जामवंत और श्रीकृष्ण में भयंकर युद्ध होने लगा। 12 दिन तक जब कृष्ण गुफा से वापस नहीं लौटे तो सारे यादव उन्हें मरा हुआ समझ कर द्वारिकापुरी वापस आ गए तथा समस्त वृतांत वासुदेव और देवकी से कहा। वासुदेव और देवकी व्याकुल होकर महामाया दुर्गा की उपासना करने लगे। उनकी उपासना से प्रसन्न होकर देवी दुर्गा ने प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम्हारा पुत्र तुम्हें अवश्य मिलेगा।
श्रीकृष्ण और जामवंत दोनों ही पराक्रमी थे। युद्ध करते हुए गुफा में 28 दिन बीत गए। कृष्ण की मार से महाबली जामवंत की नस टूट गई। वे अति व्याकुल हो अपने आराध्य भगवान श्रीराम का स्मरण करने लगे। जामवंत के द्वारा श्रीराम का स्मरण करते ही भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीराम के रूप में उसे दर्शन दिए। जामवंत उनके चरणों में गिर गया और बोला, हे भगवान! अब मैंने जाना कि आपने यदुवंश में अवतार लिया है। जामवंत ने भगवान श्रीकृष्ण की अनेक प्रकार की स्तुति की और अपनी कन्या जामवंती का विवाह उनसे कर दिया। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण से यह वचन भी लिया कि वह इस गुफा में आते रहेंगे।
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