Sankashti Chaturthi: धन और खुशियां चाहते हैं तो आज सारा परिवार करे ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Jun, 2020 07:08 AM

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संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट हरण करने वाली चतुर्थी। हिंदू पंचांग के मुताबिक, संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को मनाते हैं। इस बार 8 जून यानि आज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

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Sankashti Chaturthi 2020: संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट हरण करने वाली चतुर्थी। हिंदू पंचांग के मुताबिक, संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को मनाते हैं। इस बार 8 जून यानि आज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।  इस दिन विघ्ननहर्ता, मंगलकर्ता गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। किसी भी मंगल कार्य को शुरू करने से पूर्व भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के देवता माने जाते हैं। यह व्रत हर प्रकार से लाभप्रद है और इसको करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा मिलती हैं। सिद्धिविनायक का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह दिन अति उत्तम है।

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संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
Sankashti Chaturthi vrat katha:
पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन सबके दुःख हरने वाले भगवान गणेश खुद अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से निकल कर बाहर आये थे। इसलिए इसको संकट चौथ भी कहा जाता है। कहते है, एक बार माता पार्वती ने द्वार पर गणेश जी को पहरेदारी के लिए बाहर खड़ा कर दिया और बोला मैं भीतर स्नान करने जा रही हूं, तुम किसी को भी अन्दर मत आने देना। इतना बोल कर माता घर के अन्दर स्नान को चली गयी। थोड़ी देर में भगवान शिव कई वर्षों की तपस्या के बाद वापस कैलाश लौटे और सीधे घर के अन्दर प्रवेश करने  लगे। द्वार पर पहरेदारी कर रहे गणेश जी ने उनको अन्दर जाने से रोक दिया। शिव जी ने उनको बहुत समझाया की यह घर उनका है किन्तु गणेश जी नहीं माने, तब क्रोध में आ कर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। 

पुत्र की करुण चीत्कार सुन कर माता पार्वती बाहर आई और गणेश जी को मृत देख कर विलाप करने लगी और अपने पुत्र को जीवित करने की हठ करने लगी। माता के अनुरोध को भगवान शिव ने मान लिया और भगवान गणेश के धड़ पर हाथी का सिर लगा कर उनको जीवित कर दिया, तभी से भगवान गणेश को गजानंद के नाम से भी जाना जाता हैं।

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संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि
Sankashti Chaturthi vrat vidhi:
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के पश्चात व्रत का संकल्प करें। गणेश जी की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करके उस पर लाल या पीले रंग का कपड़ा रख कर, गंगा जल से भगवान गणेश की प्रतिमा को स्नान करवाने के पश्चात रोली, पान, सुपारी, दुर्वा और फूल अर्पित करें। गणेश जी को देसी घी के मोदक विशेष प्रिय हैैं इसलिए उनको मोदक का भोग लगाएं। 

दीप जला कर ॐ गणेशाय नमः मंत्र का जाप करें, शाम को सारा परिवार मिल कर भगवान गणेश की कथा का श्रवण करने के बाद आरती करें, फिर रात में चन्द्र दर्शन के बाद व्रत खोलें। व्रत से प्रसन्न होकर भगवान गणेश सभी भक्तों के संकटों को हर कर सुख- समृद्धि और धन-धान्य से परिपूर्ण करेंगे। 

आचार्य लोकेश धमीजा
वेबसाइट - www.goas.org.in

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