Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Sep, 2023 09:12 AM
किसी संत के पास एक आदमी आकर बोला- भगवन ! मैं पुरु देश का धनी सेठ हूं। तीर्थयात्रा के लिए चलने लगा तो मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा कि आप कई स्थानों की यात्रा करेंगे।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Secret of Happy Life: किसी संत के पास एक आदमी आकर बोला- भगवन ! मैं पुरु देश का धनी सेठ हूं। तीर्थयात्रा के लिए चलने लगा तो मेरे एक मित्र ने मुझसे कहा कि आप कई स्थानों की यात्रा करेंगे। कहीं से मेरे लिए सुख, शांति और प्रसन्नता मोल ले आना। मैंने अनेक स्थानों पर ढूंढा, पर ये तीनों वस्तुएं कहीं नहीं मिलीं। आपको शांत, सुखी और प्रसन्न देखकर ही आपके पास आया हूं।
संत अपनी कुटिया के भीतर गए और एक कागज की पुड़िया देते हुए बोले- यह अपने मित्र को दे देना। रास्ते में इसे कही खोलना मत। सेठ ने पुड़िया ले जाकर अपने मित्र को दे दी। मित्र उसमें रखी औषधि के प्रभाव से कुछ ही दिनों में सुखी, शांत और प्रसन्न हो गया।
एक दिन सेठ अपने मित्र के पास जाकर बोला- मित्र ! मुझे भी अपनी औषधि में से थोड़ा दे दो तो मेरा भी कल्याण हो जाए। मित्र ने पुड़िया खोलकर दिखाई। उसमें लिखा था- अंत:करण में विवेक और संतोष से ही स्थायी सुख, शांति और प्रसन्नता मिलती है।