Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 May, 2020 06:55 AM
दरअसल शनि न्याय के देवता हैं। कर्म के कारक हैं। नवग्रहों में इनका एक महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जिन लोगों के ऊपर हमेशा कष्ट, गरीबी, बीमारी और धन संबंधी परेशानी होती है,
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Shani Amavasya 2020: दरअसल शनि न्याय के देवता हैं। कर्म के कारक हैं। नवग्रहों में इनका एक महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जिन लोगों के ऊपर हमेशा कष्ट, गरीबी, बीमारी और धन संबंधी परेशानी होती है, उन्हें शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए। इस पूजा के लिए प्रत्येक शनिवार, शनि अमावस्या और शनि जयंती का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। शनिदेव प्रसन्न हो जाए तो रंक से राजा बना सकते हैं। शनि की जब दशा चल रही हो तब व्यक्ति को मांस-मदिरा से परहेज रखते हुए शुद्ध अंतःकरण से शनि देव की आराधना करनी चाहिए और अपना आचरण भी शुद्ध रखना चाहिए।
इस बार अमावस्या तिथि 21 मई को शाम 9:21 से शुरू होकर 22 मई को रात 11:08 तक रहेगी। इस लिए शनि अमावस्या 22 मई को मनाई जाएगी।
ऐसी मान्यता भी है कि शनि जयंती के दिन किया गया दान-पुण्य और पूजा-पाठ शनि संबंधित सभी कष्टों को दूर करने में सहायक होता है। इस दिन सुबह नहा कर पूजा-अर्चना के बाद काले कपड़े, काली दाल और लोहे का दान जरूर करें। शुभ फल मिलेगा।
शनि ग्रह वायु तत्व और पश्चिम दिशा के स्वामी हैं। हमारे शास्त्रों में भी उल्लेख किया गया है कि शनि जयंती पर उनकी पूजा आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं।
गुरमीत बेदी
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