Skand Shashti 2025: अपना मंगल चाहते हैं तो स्कंद षष्ठी पर गुप्त रुप से करें ये काम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 01 Jun, 2025 01:01 AM

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Skand Shashti 2025: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाने वाली स्कन्द षष्ठी एक अत्यंत प्रभावशाली और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) को समर्पित है। यह तिथि दक्षिण भारत में अधिक प्रसिद्ध...

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Skand Shashti 2025: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाने वाली स्कन्द षष्ठी एक अत्यंत प्रभावशाली और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) को समर्पित है। यह तिथि दक्षिण भारत में अधिक प्रसिद्ध है लेकिन इसके गहरे तांत्रिक और वैदिक महत्व को जानने वाले साधक इसे उत्तर भारत में भी गुप्त रूप से साधना हेतु उपयोग में लाते हैं। ज्येष्ठ माह में यह पर्व 1 जून 2025 रविवार को मनाया जाएगा।

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Skanda Shashthi 2025 shubh muhurat स्कंद षष्ठी 2025 शुभ मुहूर्त
षष्ठी तिथि 31 मई 2025 की दोपहर 02:22 से प्रारंभ होगी और दोपहर 02:55 बजे समाप्त होगी। इस दौरान भगवान मुरुगन की पूजा करें।

स्कन्द षष्ठी पर करें ये विशेष उपाय
संताहीनता, रोगों से मुक्ति, शत्रु बाधा का नाश, साहस, नेतृत्व और निर्णय शक्ति में वृद्धि, मांसपेशीय कमजोरी व पौरुष हीनता में विशेष लाभ चाहते हैं तो रात्रि के तीसरे प्रहर में ‘ॐ स्कन्दाय नमः’ का 1008 बार जाप करें।

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अग्नि तत्व की शुद्धि का दिवस
स्कन्द षष्ठी को अग्नि तत्व की विशेष शुद्धि का दिन माना जाता है। ज्येष्ठ माह में सूर्य अपनी उच्च स्थिति से थोड़े नीचे आने लगता है, जिससे अग्नि तत्व असंतुलन में आने लगता है। स्कन्द षष्ठी पर उपवास एवं सूर्याभिमुख मंत्र जाप से शरीर के अग्नि चक्र (नाभि क्षेत्र) को पुनः संतुलित किया जा सकता है।

सूर्याभिमुख मंत्र- ॐ सूर्याय नमः ॐ घृणि सूर्याय नमः ॐ आदित्याय नमः ॐ भास्कराय नमः

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गुप्त ग्रह दोष निवारण का योग
ज्योतिषीय दृष्टि से इस दिन छाया ग्रहों (राहु-केतु) का सूक्ष्म असर कम होता है इसलिए स्कन्द षष्ठी पर विशेष वृत्ताकार दीप यंत्र बनाकर पूजा करने से राहु-केतु से जुड़े दोष विशेष रूप से शांत होते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिनकी कुंडली में  मंगल कमजोर है।

छठे भाव की तपस्या
वैदिक ज्योतिष में षष्ठ भाव को रोग, ऋण और शत्रुओं का भाव कहा गया है। स्कन्द षष्ठी पर यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में छठा भाव प्रबल है या कष्ट दे रहा है तो मंगल बीज मंत्र का 108 बार जाप करने से अद्भुत लाभ होता है।

मंत्र- ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः

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तपस्वियों की विशेष साधना तिथि
कई पुराने तांत्रिक मतों में स्कन्द षष्ठी को तपसिद्धि तिथि माना गया है। इस दिन की रात (षष्ठी से सप्तमी की संधि रात्रि) को एकांत में भगवान स्कन्द के षडानन स्वरूप की ध्यान साधना करने से छठे चक्र (विशुद्धि) की जागृति होती है।

स्कन्द षष्ठी का गुप्त संकेत
कहते हैं कि यदि स्कन्द षष्ठी की रात एक खास समय में सफेद नाग या 6 सिर वाला पक्षी स्वप्न में दिखे तो यह आने वाले वर्ष में किसी महत्वपूर्ण आत्मिक उपलब्धि का संकेत है।

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