Chaitra Navratri 5th Day: मां स्कंदमाता की पूजा करने वाले जानें ये जरुरी बात

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Apr, 2022 10:19 AM

skandmata

पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कंदमाता को दुनिया की रचियता कहा जाता है और जो भी सच्चे मन से मां की पूजा

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Chaitra Navratri 5th Day: पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कंदमाता को दुनिया की रचियता कहा जाता है और जो भी सच्चे मन से मां की पूजा और आराधना करता है तो माता उसे प्रसन्न होकर मनवांछित इच्छा फल देती हैं। चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद जी की मां हैं इसलिए माता के इस स्वरूप को स्कंदमाता पुकारा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कंदमाता को पहाड़ों पर रहकर दुनिया के जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वाली देवी कहा जाता है। जो भी सच्चे मन से मां की पूजा और आराधना करता है तो माता उसे प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं। संतान प्राप्ति के लिए भी माता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। 

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इस रंग के पहनें कपड़े
कथाओं के अनुसार माता को सफेद वस्त्र बेहद प्रिय हैं। नवरात्रि के पांचवे दिन सफेद रंग पहनना अच्छा होता है। इस रंग की धार्मिक मान्यता भी है। ब्रह्मा जी को सफेद रंग प्रिय है। वह सफेद वस्त्र धारण करती हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ब्रह्म यानी ईश्वर सभी लोगों के प्रति समान भाव रखते हैं। सफेद रंग पारदर्शिता और कोमलता का भी प्रतीक है।

मां को लगाएं शहद का भोग
मां को केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें। इससे परिवार में सुख-शांति रहेगी और शहद के भोग से धन प्राप्ति के योग बनते हैं।

स्कंदमाता का स्वरूप 
उनकी चार भुजाएं होती हैं। इनकी गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय बालरूप में विराजमान होते हैं। इनके एक हाथों में कमल के फूल होते हैं। एक भुजा वरदमुद्रा है। इनका वाहन सिंह होता है। हमेशा कमल के आसन पर स्थित रहने की वजह से इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। 

पूजा की विधि 
चैत्र नवरात्रि की पंचम तिथि को स्नान करके बाद में माता की पूजा शुरू करें। मां की प्रतिमा या चित्र को गंगा जल से शुद्ध करें। इसके बाद कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें। मिष्ठान का भोग लगाएं। माता के सामने घी का दीपक जलाएं। उसके बाद पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से मां की पूजा करें। फिर मां की आरती उतारें, कथा पढ़ें और आखिर में मां के मंत्रों का जाप करें। 

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मां स्कंदमाता की कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नामक एक राक्षस था जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द, जिनका दूसरा नाम कार्तिकेय था, को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप ले लिया। फिर उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। मां से युद्ध प्रशिक्षिण लेने के बाद भगवान स्कन्द ने तारकासुर का वध किया था।

पूजा का महत्व 
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा करने से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही माता रानी अगर प्रसन्न हो जाएं तो स्वास्थ्य संबंधी सभी दिक्कतें भी दूर हो जाती हैं। खासतौर से त्वचा से जुड़ा रोग होने पर उसे दूर करने के लिए मां की पूरे विधि-विधान से पूजा करें। 

ज्ञान में वृद्धि करती हैं
मां स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान में भी वृद्धि होती है इसलिए इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मां की पूजा करने से ज्ञान और आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही ज्ञात और अज्ञात शत्रु का भय दूर होता है और जीवन में आने वाले संकटों को भी मां दूर करती हैं।

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