Edited By Jyoti,Updated: 17 Aug, 2019 03:10 PM
जैसे कि हम जानते हैं भादो में हम सबके प्रिय श्री कृष्ण का जन्म दिन मनाया जाता है। जिसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है।
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जैसे कि हम जानते हैं भादो में हम सबके प्रिय श्री कृष्ण का जन्म दिन मनाया जाता है। जिसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म के इस पावन दिन को श्रीकृष्ण की पूजा के साथ-साथ, उन्हें अनेक प्रकार के भोग लगाए जाते हैं जिनमें से माक्खन, मिश्री श्रेष्ठ होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति न हो रही हो उन्हें इस दिन पूरी विधि-पूर्वक श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। कहते हैं जिस पर भगवान कृष्ण की कृपा हो जाती है उन्हें अपने जैसी नटखट संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं।
तो आइए आपको बताते हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अनंतकोटि तेज स्वरूप श्रीकृष्ण भगवान का विधि वत पूजन-अर्चन करने के बाद इस कृपाकटाक्ष स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बता दें इस कृष्णाष्टक स्त्रोत की सुंदर रचना भगवान श्रीशंकराचार्य ने की थी। बता दें इस साल यानि जन्माष्टमी का पर्व 23 एवं 24 अगस्त को मनाया जाएगा।
श्रीकृष्ण प्रार्थना ।।
मूकं करोति वाचालं पंगु लंघयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्।।
नाहं वसामि वैकुण्ठे योगिनां हृदये न च।
मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद।।
अथ श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र ।।
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं, स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम्।
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं, अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम्॥
मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं, विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम्।
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं, महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्ण वारणम्॥
कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं, व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम्।
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया, युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम्॥
सदैव पादपंकजं मदीय मानसे निजं, दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम्।
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं, समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम्॥
भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं, यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम्।
दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं,दिने-दिने नवं-नवं नमामि नन्दसम्भवम्॥
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं, सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनं।
नवीन गोपनागरं नवीनकेलि-लम्पटं, नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम्।।
समस्त गोप मोहनं, हृदम्बुजैक मोदनं, नमामिकुंजमध्यगं प्रसन्न भानुशोभनम्।
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं, रसालवेणुगायकं नमामिकुंजनायकम्।।
विदग्ध गोपिकामनो मनोज्ञतल्पशायिनं, नमामि कुंजकानने प्रवृद्धवह्निपायिनम्।
किशोरकान्ति रंजितं दृगंजनं सुशोभितं, गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम।।
यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा, मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम्।
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान्,भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान॥
इसके अलावा ज्योतिष विद्वानों के अनुसार जन्माष्टमी के दिन जो भी भक्त भगवान श्रीकृष्ण के सामने गाय के घी का दीपक जलाकर, पीले रंग के आसन पर बैठकर, "ॐ नमो भगवते वासुदेव" उक्त मंत्र का 108 बार जप करने के बाद ऊपर दी गई श्रीकृष्ण स्तुति का पाठ करते हैं उनकी एक साथ कई इच्छाएं कान्हा जी पूरी कर देते हैं।