Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Nov, 2023 09:05 AM
हमारी प्राचीन प्रथाओं व अनुष्ठानों में गहरा ज्ञान और अंतर्दृष्टि छिपी है। दिवाली हम कार्तिक माह में मनाते हैं। इस पूरे महीने लोग अपने घरों के सामने दीपक जलाते हैं।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारी प्राचीन प्रथाओं व अनुष्ठानों में गहरा ज्ञान और अंतर्दृष्टि छिपी है। दिवाली हम कार्तिक माह में मनाते हैं। इस पूरे महीने लोग अपने घरों के सामने दीपक जलाते हैं। इसका एक कारण यह है कि पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में कार्तिक मास, वर्ष के सबसे अंधेरे महीनों में से एक है। यह दक्षिणायन के अंत का प्रतीक है अर्थात जब सूर्य दक्षिण की ओर बढ़ता है तो रोशनी कम होती जाती है।
दीपक जलाने के पीछे एक और प्रतीक है। भगवान बुद्ध ने कहा है, "अप्प दीपो भव"- स्वयं के लिए प्रकाश बनो। अंधकार को दूर करने के लिए एक दीपक पर्याप्त नहीं है। हर किसी को चमकना चाहिए। भगवान बुद्ध ने संघ क्यों बनाया ? उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे जानते थे कि कई व्यक्तियों में ज्ञान जगाने की आवश्यकता है। जब अधिक लोग जागृत होंगे तो इससे एक खुशहाल समाज का निर्माण होगा। जब वे कहते हैं, अपने लिए प्रकाश बनो, अपने आस-पास के सभी लोगों के लिए प्रकाश बनो, तो उसका अर्थ है कि ज्ञान में रहो तथा सजगता और ज्ञान को अपने आस-पास के लोगों तक फैलाओ।
Glory of Kali Chaturdashi काली चतुर्दशी की महिमा
देश के कई हिस्सों में दिवाली को काली चौदस के रूप में भी मनाया जाता है। देवी काली की पूजा को समर्पित यह त्योहार रात्रि की भव्यता की सुंदर स्मृति दिलाता है। यदि रात न होती, अंधकार न होता, तो हम कभी भी अपने ब्रह्मांड की विशालता को नहीं जान पाते। हम कभी नहीं जान पाते कि अन्य ग्रह भी हैं। ऐसा प्रतीत हो सकता है कि हम दिन में अधिक देखते हैं और रात में कम। लेकिन रात में जो हम देखते हैं वह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है । जब हम अल्प वस्तुओं के लिए अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, तो हम उन्हें किसी बड़ी वस्तु के लिए खोल देते हैं। यदि आप ध्यान दें, तो आपकी आंखों की पुतलियां कृष्ण रंग की हैं, इन्हें काली भी कहा जाता है। अगर हमारी आंखों में काली पुतली न हो तो हम कुछ भी नहीं देख पाएंगे, ठीक है?
मां काली ज्ञान की प्रतीक हैं। वे ज्ञान की जननी हैं। वे कोई ऐसी देवी नहीं है जो अपनी जिह्वा बाहर निकालकर आपको डराने का प्रयत्न कर रही हो। यह सब मात्र चित्रण है। वे एक ऐसी ऊर्जा है जिसका वर्णन हम अपनी बुद्धि से नहीं कर सकते या समझ नहीं सकते। इसे केवल अनुभव किया जा सकता है।
काली भगवान शिव के ऊपर भी खड़ी हैं। इसका क्या अर्थ है ? शिव का अर्थ है अनंत मौन । जब हम शिव के अद्वैत गहन मौन का अनुभव करते हैं, तो हम समझते हैं कि यह हमारा अपना स्वरूप है। जहां हम स्वयं को उच्च ज्ञान के लिए खोलते है, वहां हम काली की ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
Diwali and goddess of wealth दिवाली और धन की देवी
हम दिवाली पर धन की देवी, देवी लक्ष्मी का आह्वान करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं। वे अपने साथ साहस व रोमांच की भावना लेकर आती हैं। आप जानते हैं, धन प्राप्त करने का विचार कई लोगों में रोमांच पैदा करता है इसलिए धन की देवी का दूसरा संकेत रोमांच की भावना है। तीसरा लक्षण है सौन्दर्य और प्रकाश।
वे एकांगी भक्ति पसंद करती हैं। इसे दर्शाती हुई एक सुंदर कहानी है। कहते हैं कि जब आदि शंकराचार्य केवल 8 वर्ष के थे, तब उन्होंने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी, जो एक बहुत ही लयबद्ध, शक्तिशाली और अर्थपूर्ण छंद है। कहानी यह है कि एक दिन आदि शंकराचार्य भिक्षा मांगने के लिए एक घर के बाहर खड़े थे। घर की महिला इतनी गरीब थी कि उसके पास चढ़ाने के लिए केवल एक करौंदा था। उसने उसे उनके कटोरे में रख दिया। ऐसा कहा जाता है कि उसकी भक्ति से प्रभावित होकर आदि शंकराचार्य ने लक्ष्मी देवी की स्तुति में कनकधारा स्तोत्र गाया और देवी के घर में सुनहरे आंवलों की वर्षा की।