धन के देवता कुबेर से जुड़ी ये जानकारी कम ही लोग जानते हैं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Nov, 2020 10:25 AM

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आधुनिक युग में मनुष्य अनेक प्रकार के सुखों को प्राप्त करना चाहता है। इन सुखों का सीधा संबंध धन से है इसीलिए मनुष्यों में धन कमाने की होड़ लगी हुई है। कुछ मनुष्य अपनी मेहनत एवं लगन से कार्य करने के

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Kuber the Lord of Riches: आधुनिक युग में मनुष्य अनेक प्रकार के सुखों को प्राप्त करना चाहता है। इन सुखों का सीधा संबंध धन से है इसीलिए मनुष्यों में धन कमाने की होड़ लगी हुई है। कुछ मनुष्य अपनी मेहनत एवं लगन से कार्य करने के कारण धन कमाने में व्यस्त रहते हैं तथा दूसरी तरफ कुछ मनुष्य दूसरे तरीकों (अर्थात गलत साधनों की मदद) से धन कमाने में लगे हुए हैं।

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Dhan Kuber Sadhna: मनुष्य कुबेर साधना को धन वृद्धि के लिए ही करता है और यह साधना कुछ विद्वानों के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (अर्थात धन तेरस) को ही की जाती है। कुछ विद्वानों के द्वारा कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी एवं अमावस्या तथा अन्य मतानुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रथम तिथि को गोवर्धन पूजा के साथ भी करते हैं।

Who is kubera: पुराणों में विभिन्न कथाओं के अनुसार महर्षि पुलस्त्य के पुत्र महामुनि विश्रवा का महर्षि भारद्वाज की पुत्री इलविला से पाणिग्रहण संस्कार हुआ था तथा उनकी कोख से कुबेर ने जन्म लिया था। ब्रह्मा जी ने इन्हें समस्त सम्पत्ति का स्वामी बनाया। इनके द्वारा उग्र तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें उत्तर दिशा का लोकपाल बनाया तथा इनकी पुरी अलकनंदा से ही अलकनंदा नदी निकली है। इनको प्लूटो ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। पृथ्वी में जितने भी कोष हैं, सबके अधिपति कुबेर हैं। इन्हीं की कृपा से मनुष्य को भूगर्भ स्थित निधियों की प्राप्ति होती है। प्रत्येक यज्ञान्त में इन वैश्रवण राजाधिराज को पुष्पांजलि दी जाती है।

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Who is Kuber in Hinduism: भगवान शंकर की इन पर विशेष कृपा है। इनकी सौतेली माताओं में पुष्पोलट से रावण, कुंभकर्ण तथा मालिनी से विभीषण एवं रामा से खर-दूषण एवं शूर्पणखा उत्पन्न हुए। कुबेर की शादी मूर दानव की पुत्री से हुई जिससे इनके पुत्र नल-कुबेर तथा मणिग्रीव पैदा हुए तथा नारद जी के श्राप से गोकुल में वृक्ष बने तथा भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा उनकी मुक्ति हुई थी। इनके अनुचर यक्ष निरंतर इनकी सेवा करते हैं।  यह अपने पिता को छोड़कर अपने प्रपितामह ब्रह्मा जी की सेवा में चले गए थे तथा उनकी सेवा करने से इन्हें अलकापुरी तथा लंकापुरी का स्वामी ब्रह्मा एवं शिवजी द्वारा बनाया गया था। ब्रह्मा ने इन्हें पुष्पक विमान तथा अमरत्व भी प्रदान किया था।

Who is Kuber : इनकी पुत्री का नाम मीनाक्षी था। इनकी पीठ में कूबड़ है, ये एक आंख वाले पिंगली कहलाते हैं। भगवती जगदम्बा उमा द्वारा श्राप के कारण इनकी एक आंख नष्ट हो गई थी। बाद में यह भगवती की पूजा करके निधियों के स्वामी बने। इनका अस्त्र गदा है, वाहन नर है अर्थात यह पालकी में बैठकर जाते हैं। कौटिल्य (चाण्क्य) के अनुसार कुबेर की मूर्ति खजाने में स्थापित की जानी चाहिए। वैसे तो कुबेर का निवास वट-वृक्ष कहा गया है।

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Hindu God of Wealth: कुबेर धन-धान्य और समृद्धि के देवता है। वाराह पुराण के अनुसार कुबेर की पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन की जाती है। कुबेर को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युञ्जय मंत्र का कम से कम दस हजार जप करना आवश्यक है। श्वेत वर्ण, तुन्दिल शरीर, अष्ट दंत तथा तीन चरणों वाले गदाधारी कुबेर की नगरी सत्तर योजन में फैली हुई है। जहां पर उद्यान, झीलें तथा सुंदर महल तथा अप्सराएं रहती हैं। वहां के वृक्षों की पत्तियों के रूप में रत्न, फूलों के रूप में सुंदर अप्सराएं ही दिखती हैं।

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Hindu God of Wealth and Prosperity: आजकल अधिकांश मणि रत्न लुप्त हो गए हैं, क्योंकि आज का मानव उनके उपभोग में लगा है तथा आजकल यज्ञ-दान के अवशेष का उपभोग हो, यह प्रवृत्ति लुप्त हो चुकी है इसीलिए कुबेर जी मनुष्य के अधिकार के अनुरूप कोष का प्रादुर्भाव (या तिरोभाव) कर देते हैं।

Kuber Puja on Diwali: आजकल इनकी पूजा धनतेरस को, दीपावली के दिन भी की जाती है। इस प्रकार धनतेरस को (कुबेर तथा धनवंतरी की), चौदस को यमराज की, अमावस्या को गणेश-लक्ष्मी, कुबेर की तथा गोवर्धन पूजा प्रतिपदा को की जाती है।

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