कराची से गायब होते मंदिर बने अतीत की यादें

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jul, 2020 09:21 AM

temple disappearing from karachi

पिछले काफी वर्षों से मंदिर पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची से गायब हो गए हैं, उनके अवशेष अतीत की याद दिलाते हैं और बंदरगाह शहर के हिंदुओं के लिए एक धूमिल भविष्य की भविष्यवाणी है।

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कराची (ट्रि.): पिछले काफी वर्षों से मंदिर पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची से गायब हो गए हैं, उनके अवशेष अतीत की याद दिलाते हैं और बंदरगाह शहर के हिंदुओं के लिए एक धूमिल भविष्य की भविष्यवाणी है। हिंदू परिवार से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप ने बताया कि मंदिरों के गायब होने के कारण वह अपनी गली में प्रवेश करने के भी इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि वह बेहतर अतीत की यादों को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि जब मैं छोटा था तो पिता और चाचा भीड़-भाड़ वाले जूना मार्कीट के बीचों-बीच शिव मंदिर के लगातार दर्शनार्थी थे। यह अब केवल उनकी यादों में मौजूद है। इसकी साइट कचरे के ढेर के नीचे दफन है। इसके आसपास के क्षेत्र में अतिक्रमण किया गया है। वह अपने एकमात्र जीवित कमरे को भी देखता है, वह भी जल्द ही कब्जे में आ जाएगा और एक दुकान में बदल जाएगा। 

वहीं हरसी दारसी ने कहा कि शिव मंदिर में ही नहीं, बल्कि विभाजन से पहले हिंदू बहुल इलाके में मंदिर में घंटी गूंजती थी। गली के दूसरे छोर पर शिव मंदिर से जुड़ा एक अन्य मंदिर था। इसे भी अब आवासीय और व्यावसायिक भवनों में बदल दिया गया है। वह याद करते हैं, वहां एक धर्मशाला तीर्थयात्रियों के लिए हुआ करती थी। यहां भी दुकानें हैं। दारसी के अनुसार, जनरल जिया-उल-हक के शासनकाल में सभी मंदिरों की जमीन पर कब्जा कर लिया गया था। भारत में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मामले और बिगड़ गए तथा कुछ ङ्क्षहदू परिवार जो इस क्षेत्र में बचे थे, वे भी बहुत कम हो गए, लेकिन यह सिर्फ कच्छी गली की कहानी नहीं है।

संदीप ने कहा कि मोजो लेन में 4 मंदिर हुआ करते थे। जगदीश मंदिर, हनुमान मंदिर, गणेश मंदिर और शिव मंदिर साथ ही एक धर्मशाला भी। इन चारों पर अतिक्रमण कर लिया गया है, जबकि मुट्ठी भर हिंदू परिवार ही यहां रहते हैं। 2 साल बाद मंदिर का दौरा करने वाली लक्ष्मी ने कहा कि यह आमतौर पर बंद रहता है। उसने कहा कि मंदिर में मूर्ति 2 साल पहले एक और मंदिर से लाई गई थी, जो अब एक आवासीय भवन में परिवर्तित हो रहा है। वह रोते हुए बताती है कि इसके आसपास रहने वाले 18 परिवारों को पैसे लेने और जमीन खाली करने के लिए मजबूर किया गया था। आजादी की पूर्व संध्या पर मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा कि पाकिस्तान के इस राज्य में आप अपने मंदिरों में जाने के लिए स्वतंत्र हैं। 

428 में से 408 मंदिर बन गए दुकान या दफ्तर
ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स मूवमैंट ने एक सर्वे कर बताया कि जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो बड़ी संख्या में हिंदू और सिख पाकिस्तान से हिन्दुस्तान गए थे। उस दौरान पाकिस्तान की धरती पर 428 मंदिर मौजूद थे। हालांकि 1990 आते-आते इन सभी मंदिरों को धीरे-धीरे कब्जे में लेकर यहां अब दुकानें, रैस्टोरैंट, होटल्स, दफ्तर, सरकारी स्कूल या फिर मदरसे खोल दिए गए हैं।  इस सर्वे में आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तान सरकार ने इवैक्यू प्रॉपर्टी ट्रस्ट बोर्ड को अल्पसंख्यकों के पूजा वाले स्थलों की 1.35 लाख एकड़ जमीन लीज पर दे दी थी। इस ट्रस्ट ने ही इन सारे मंदिरों की जमीन हड़प ली। इसके बाद 408  मंदिरों में दुकान या दफ्तर बन गए। 

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