Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 10:09 AM
दिल्ली का बादशाह मोहम्मद तुगलक विद्वान भी था और उदार भी। प्रजा के लिए कई उपयोगी काम भी उसने किए, किंतु दो दुर्गुण उसमें ऐसे थे, जिनके कारण वह बदनाम भी हुआ और दुर्गति का शिकार भी। एक तो वह अहंकारी था
दिल्ली का बादशाह मोहम्मद तुगलक विद्वान भी था और उदार भी। प्रजा के लिए कई उपयोगी काम भी उसने किए, किंतु दो दुर्गुण उसमें ऐसे थे, जिनके कारण वह बदनाम भी हुआ और दुर्गति का शिकार भी। एक तो वह अहंकारी था, किसी की उपयोगी सलाह भी अपनी बात के आगे स्वीकार न करता था। दूसरा जल्दबाज इतना कि जो मन में आए उसे तुरंत कर गुजरने के लिए आतुर हो उठता था।
उसी सनक में उसने नई राजधानी दौलताबाद बनाई और बन जाने पर कठिनाइयों को देखते हुए रद्द कर दिया। एक बार बिना चिन्ह के तांबे के सिक्के चलाए। लोगों ने नकली बना लिए और इससे अर्थव्यवस्था बिगड़ गई।
फिर निर्णय किया कि तांबे के सिक्के खजाने में जमा करके चांदी के सिक्कों में बदल लें। लोग इस कारण सारा सरकारी कोष खाली कर गए। एक बार चौगुना टैक्स बढ़ा दिया। लोग उसका राज्य छोड़कर अन्यत्र भाग गए।
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि विद्वता और उदारता जितनी सराहनीय होती है, अहंकारिता और जल्दबाजी उतनी ही हानिकर होती है। इसलिए हमें अहंकार और जल्दबाजी से बचना चाहिए।