Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jun, 2017 02:02 PM
एक राजा था जिसका राज्य दूर-दूर तक फैला था। उसके राज्य में चारों ओर शांति थी।
एक राजा था जिसका राज्य दूर-दूर तक फैला था। उसके राज्य में चारों ओर शांति थी। उद्योग-धंधे फल-फूल रहे थे और धन की कोई कमी नहीं थी। प्रजा प्रसन्न और संतुष्ट थी।
उसके राज्य से सटा एक-दूसरे राजा का छोटा-सा राज्य था किंतु वहां का दृश्य इसके विपरीत था। शिक्षा, रोजगार और धन का अभाव था। प्रजा असंतुष्ट और निराश थी। राजा परेशान था कि वह अपने राज्य में कैसे सुव्यवस्था स्थापित करे?
एक दिन वह बड़े राज्य के राजा से मिलने आया। परस्पर बातचीत में उसने पूछा, ‘‘मेरा छोटा-सा राज्य है, किंतु उसमें नित्य ही उत्पात होते रहते हैं। आपका राज्य इतना बड़ा होने के बावजूद यहां पूर्ण शांति है। इसका क्या रहस्य है?’’
उस राजा ने जवाब दिया, ‘‘इसका रहस्य यह है कि मैंने चार चौकीदार तैनात कर रखे हैं, जो हर पल मेरी रक्षा करते हैं।’’
दूसरे राजा ने कहा, ‘‘मेरे यहां तो चौकीदारों की फौज है। आपका काम चार से कैसे चल जाता है?’’
पहले राजा ने उत्तर दिया, ‘‘मेरे रक्षक दूसरी तरह के हैं। मेरा पहला रक्षक सत्य है, वह मुझे असत्य नहीं बोलने देता। दूसरा रक्षक प्रेम है, जो मुझे घृणा से दूर रखता है। तीसरा रक्षक न्याय है जो मुझे पद, लिंग, धर्म, जाति, आयु वर्ग आदि किसी भी दृष्टिकोण से अन्याय नहीं करने देता और मैं निर्णय करते समय सर्वथा निष्पक्ष बना रहता हूं। मेरा चौथा रक्षक त्याग है जो मुझे स्वार्थी होने से बचाता है। इसी कारण मैं इस भौतिक संसार में रहते हुए भी सभी प्रकार के लोभ-मोह से परे रहता हूं।’’