जो मक्का-मदीना की जियारत नहीं कर पाते, वे इस दरवाजे से गुजरते हैं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jun, 2021 11:42 AM

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राजस्थान स्थित अजमेर एक ऐतिहासिक शहर है जो अपनी धार्मिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। चौहान राजा अजयराज सिंह  द्वारा बसाया गया अजमेर ऊंची पहाड़ियों के बीच बसा हुआ छोटा सा

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Tirthraj Pushkar- राजस्थान स्थित अजमेर एक ऐतिहासिक शहर है जो अपनी धार्मिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। चौहान राजा अजयराज सिंह  द्वारा बसाया गया अजमेर ऊंची पहाड़ियों के बीच बसा हुआ छोटा सा शहर है। यह मुख्यत: गरीब नवाज के तौर पर जाने जाते सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ के नाम से विख्यात मजार और पवित्र पुष्कर झील के लिए प्रसिद्ध है।

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Ajmer Sharif Dargah दरगाह अजमेर शरीफ
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर शरीफ भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है, जिसमें प्रवेश हेतु चारों ओर दरवाजे हैं जिनमें सबसे ज्यादा भव्य तथा आकर्षक दरवाजा मुख्य बाजार की ओर है, जिसे निजाम गेट कहते हैं। इसकी ऊंचाई लगभग 70 फुट, चौड़ाई मय बरामदों के 24 फुट है। 

इसके पश्चिम में चांदी चढ़ा एक खूबसूरत दरवाजा है, जिसे जन्नती दरवाजा कहा जाता है। यह दरवाजा वर्ष में चार बार ही खुलता है- उर्स के समय, दो बार ईद पर। कहते हैं कि ख्वाजा गरीब नवाज इबादत के लिए इसी रास्ते से जाया करते थे। उनकी इबादत पर अल्लाह ने ख्वाजा साहब से कहा था कि जो लोग मक्का-मदीना की जियारत नहीं कर पाते, वे यदि इस दरवाजे से गुजर जाएंगे तो उनकी सभी दुआएं और मन्नतें कबूल होंगी।

दरगाह में बनी शाहजहानी मस्जिद मुगल वास्तुकला का एक अद्भुभूत नमूना है, जहां अल्लाह के 99 पवित्र नामों के 33 खूबसूरत छंद लिखे गए हैं। दरगाह के भीतर दो बड़े कढ़ाहे हैं जिनमें निआज (चांवल, केसर, बादाम, घी, चीनी, मेवे को मिलाकर बनाया गया व्यंजन) पकाया जाता है। छोटे कढ़ाहे में 12.7 किलो और बड़े वाले में 31.8 किलो चावल पकाया जाता है। बड़ा वाला कढ़ाहा बादशाह अकबर द्वारा दरगाह में भेंट किया गया, जबकि छोटा वाला बादशाह जहांगीर द्वारा चढ़ाया गया।

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Pushkar तीर्थराज पुष्कर 
सृष्टि के रचियता ब्रह्मा की यज्ञस्थली और ऋषियों की तपस्थली तीर्थगुरु पुष्कर नाग पहाड़ के बीच बसा हुआ है। सर्वधर्म समभाव की नगरी अजमेर से उत्तर-पश्चिम में करीब 11 किलोमीटर दूर पुष्कर में अगस्तय, वामदेव, जमदाग्नि, भर्तृहरि इत्यादि ऋषियों के तपस्या स्थल के रूप में उनकी गुफाएं आज भी नाग पहाड़ में हैं।

ब्रह्माजी ने पुष्कर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णमासी तक यज्ञ किया था, जिसकी स्मृति में अनादि काल से यहां विश्वविख्यात कार्तिक मेला लगता आ रहा है। पुष्कर के मुख्य बाजार के अंतिम छोर पर ब्रह्माजी का मंदिर बना है। आदि शंकराचार्य ने संवत् 713 में ब्रह्मा की मूर्ति की स्थापना की थी। यह विश्व में ब्रह्माजी का एकमात्र प्राचीन मंदिर है। 

तीर्थराज पुष्कर को सब तीर्थों का गुरु कहा जाता है। इसे धर्मशास्त्रों में पांच तीर्थों में सर्वाधिक पवित्र माना गया है। पुष्कर, कुरुक्षेत्र, गया, हरिद्वार और प्रयाग को पंचतीर्थ कहा गया है। अर्धचंद्राकार आकृति में बनी पवित्र एवं पौराणिक पुष्कर झील धार्मिक और आध्यात्मिक आकर्षण का केंद्र है।

किंवदंती है कि ब्रह्माजी के हाथ से यहीं पर कमल पुष्प गिरने से जल प्रस्फुटित हुआ, जिससे इस झील का उद्भव हुआ। झील के चारों ओर 52 घाट व अनेक मंदिर बने हैं। इनमें गऊघाट, वराहघाट, ब्रह्मघाट, जयपुर घाट प्रमुख हैं। जयपुर घाट से सूर्यास्त का नजारा अत्यंत अद्भुत लगता है।

महाभारत के वन पर्व के अनुसार योगीराज श्रीकृष्ण ने पुष्कर में दीर्घकाल तक तपस्या की थी। सुभद्रा के अपहरण के बाद अर्जुन ने पुष्कर में विश्राम किया था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध पुष्कर में किया था।

जगतगुरु रामचन्द्राचार्य का श्रीरणछोड़ मंदिर, निम्बार्क सम्प्रदाय का परशुराम मंदिर, महाप्रभु की बैठक, जोधपुर के बाईजी का बिहारी मंदिर, तुलसी मानस व नवखंडीय मंदिर, गायत्री शक्तिपीठ, जैन मंदिर, गुरुद्वारा आदि दर्शनीय स्थल हैं।

पुष्कर में गुलाब की खेती भी विश्व प्रसिद्ध है। यहां का गुलाब तथा पुष्प से बनी गुलकंद, गुलाब जल इत्यादि का निर्यात किया जाता है। दरगाह शरीफ पर चढ़ाने के लिए रोजाना कई क्विंटल गुलाब भेजे जाते हैं। 

इसके अलावा पुष्कर अपने प्रसिद्ध पशु मेले के लिए भी जाना जाता है, यहां और भी कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जिन्हें आप अपनी अजमेर यात्रा में शामिल कर सकते हैं। 

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अढ़ाई दिन का झोंपड़ा
यह एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसका निर्माण 1192 में मोहम्मद गोरी के निर्देश पर कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। यह मस्जिद 1199 में पूरी तरह बनकर तैयार हो गई थी। इस मस्जिद का नाम यहां चलने वाले अढ़ाई दिन के उत्सव (उर्स) के कारण पड़ा। मस्जिद के निर्माण में खूबसूरत वास्तुकला का इस्तेमाल करवाया गया है। 

आना सागर
यह एक बेहद खूबसूरत कृत्रिम झील है, जिसका निर्माण पृथ्वीराज चौहान के पिता आणाजी चौहान ने करवाया था। आणाजी से नाम पर ही इस झील का नाम आना सागर पड़ा। झील के आसपास का इलाका बेहद खूबसूरत है, जहां का दौलत बाग देखने लायक है, जिसका निर्माण जहांगीर ने करवाया था। इस पार्क को सुभाष उद्यान के नाम से भी जाना जाता है। 

सोनीजी की नसियां
यह अजमेर स्थित बेहद खूबसूरत जैन मंदिर है, जिसे चैत्यालय भी कहा जाता है। 1865 में निर्मित यह मंदिर जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। खूबसूरत स्तंभों और नक्काशी से सजाया गया यह मंदिर सैलानियों को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। 

तारागढ़ दुर्ग 
प्रसिद्ध तारागढ़ दुर्ग को ‘बूंदी का किला’ भी कहा जाता है, जो अढ़ाई दिन की झोपड़ी से बेहद नजदीक स्थित है। इसके लिए आपको तारागढ़ की पहाड़ी की 700 फुट की चढ़ाई चढऩी होगी। इस ऐतिहासिक किले का निर्माण राजा अजय पाल चौहान ने 11वीं सदी में करवाया था। यह राजस्थान के उन किलों में शामिल है जिनकी संरचना पर मुगलिया प्रभाव नहीं पड़ पाया। दुर्ग में प्रवेश के लिए तीन विशाल द्वारों का निर्माण करवाया गया था। यहां आप खूबसूरत वास्तुकला और नक्काशी का अद्भुत मेल देख सकते हैं।

कृष्ण भनोट
krishanbhanot@punjabkesari.net.in

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