देवताओं ने रचा खेल, श्री राम को मिला 14 साल का वनवास

Edited By Jyoti,Updated: 27 Nov, 2019 12:29 PM

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देवताओं श्री राम के जन्म से लेकर उनके वनवास व राजा बनने तक का सारा वर्णन जिस ग्रंथ में मिलता है तो वो हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख ग्रंथ रामायण। लगभग लोग से इस ग्रंथ से रूबरू होंगे।

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देवताओं श्री राम के जन्म से लेकर उनके वनवास व राजा बनने तक का सारा वर्णन जिस ग्रंथ में मिलता है तो वो हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख ग्रंथ रामायण। लगभग लोग से इस ग्रंथ से रूबरू होंगे। परंतु आपको बता दें रामायण में आज भी ऐसे कई रहस्य व रोमांच छिपे हैं। जिससे ज्यादातर लोग अंजान है। तो आज हम अपने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको श्री राम चंद्र के 14 वर्ष के वनवास से जुड़ी ऐसी बात बताने वाले हैं। तो अगर आप भी मर्यादा पुरुषोत्म श्री राम चंद्र के वनवास काल से जुड़े इस तथ्य को जानना चाहते हैं तो इसके लिए आपको पढ़ना होगा आगे दिए तथ्य-
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रामायण में किए वर्णन के अनुसार माता कैकेयी ने महाराज दशरथ से वरदान स्वरूप भगवान राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगा था। ऐसा माना जाता है कि अगर माता कैकेयी चाहती तो श्री राम का पूरा जीवन मांग सकती थी परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। अपने इस आर्टिकल में हम आपको ये ही बताने वाले है कि क्यों माता कैकयो ने श्री राम के लिए केवल 14 साल का वनवास ही मांगा।

माता कैकेयी के लाडले थे श्री राम
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महाराज दशरथ की तीसरी पत्नी कैकयी अपने पुत्र भरत से भी ज्यादा कौशल्या पुत्र राम से प्रेम करती थी। परंतु जब उनके द्वारा श्री राम को 14 वर्ष का वनवास दिया गगया तो सबसे अधिक हैरानी भरत को हुई क्योंकि वे इस बात से भली-भांति परिचित थे कि माता कैकेयी को भगवान राम सबसे प्रिय हैं। तो आपको बता दें कि दरअसल कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार यह सारा खेल सब देवताओं का रचा हुआ था। आइए जानें इससे जुड़ी कथा-

माता कैकयी को आशीर्वाद
कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि दुर्वासा ने माता कैकेयी का एक हाथ बज्र का बना दिया और आशीर्वाद दिया था कि भविष्य में भगवान तुम्हारी गोद में खेलेंगे। समय आगे बढ़ता रहा और माता कैकेयी का विवाह राजा दशरथ से हो गया। इनके विवाह के कुछ ही समय बाद स्वर्ग पर असुरों ने आक्रमण कर दिया। तब देवराज इंद्र ने राजा दशरथ को सहायता के लिए कहा। अपने पति की रक्षा के लिए रानी कैकेयी उनकी सारथी बनकर युद्ध में शामिल हो गई। युद्ध के दौरान दशरथ जी के रथ के पहिए से कील निकल गई जिस कारण उनका रथ लड़खड़ाने लगा। तब माता कैकेयी ने कील की जगह अपनी उंगली लगाकर महाराज दशरथ के प्राणों की रक्षा की। जिसके बाद राजा दशरथ ने प्रसन्न होकर उन्हें तीन वरदान मांगने के लिए कहा। परंतु उस समय कैकेयी ने कोई वरदान नहीं मांगा और कहा अगर मुझे किसी चीज़ की आवश्यकता होगी तब मैं आपसे वरदान मांग लूंगी। कहा जाता है माता कैकेयी ने भगवान श्री राम के लिए 14 वर्षो का वनवास इस वरदान के बदले में ही मांगा था।
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परंतु उन्होंने यही वरदान क्यों मांगा इसके पीछे का कारण कथा था महान योद्धा रावण। दरअसल रावण एक महान योद्धा था जिसका अंत करना आसान नहीं था। किंतु माता कैकयी को इस बात का पता था कि श्री राम उसका वध करने में सक्षम हैं। जिस कारण उन्होंने ने 14 वर्ष का वनवास मांगकर यह समझाया कि अगर व्यक्ति युवावस्था में पांच ज्ञानेन्द्रियां (कान, नाक, आंख, जीभ, त्वचा) पांच कर्मेन्द्रियां (वाक्, पाणी, पाद, पायु, उपस्थ) तथा मन, बुद्धि, चित और अहंकार को वनवास (एकान्त आत्मा के वश) में रखेगा तभी अपने अंदर के घमंड और रावण को मार पाएगा।

बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण की आयु में केवल 14 ही वर्ष रह गए थे। इस बात का पता देवलोक में सबको था तो उन्होंने अपना यह कार्य माता कैकयी के माध्यम से संपन्न करवाया था। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान श्री राम के वनवास के पीछे की वजह ग्रह गोचर भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि शनि के प्रभाव के कारण कैकेयी की मति मारी गई जिसके चलते भगवान राम को शनि के समयावधि में वन-वन भटकना पड़ा। तो दूसरी ओर रावण पर भी शनि की दशा चल रही था जिस कारण  भगवान राम के हाथों मारा गया।
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