Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 May, 2020 05:59 AM
सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में आए थे और अब सूर्य 14 मई को शाम 5:33 पर वृषभ राशि में जा रहे हैं। वृषभ राशि में सूर्य का संक्रमण वृषभ सक्रांति कहलाता है। साथ ही यह जयेष्ठ महीने...
Vrishabha Sankranti 2020: सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में आए थे और अब सूर्य 14 मई को शाम 5:33 पर वृषभ राशि में जा रहे हैं। वृषभ राशि में सूर्य का संक्रमण वृषभ सक्रांति कहलाता है। साथ ही यह जयेष्ठ महीने की शुरूआत को भी दर्शाता है।
वृषभ सक्रांति का अपना एक खास महत्व है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। कई स्थानों पर श्रद्धालु इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु के मंदिर जाते हैं और भगवान विष्णु से आशीर्वाद मांग कर अपने जीवन को सफल महसूस करते हैं। बहुत से श्रद्धालु जगन्नाथ मंदिर भी जाते हैं। इस दिन देश की पवित्र नदियों व त्रिवेणी में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है और कई जगह पर भगवान सूर्य और भगवान शिव के ऋषभ रूद्र स्वरुप के विशेष पूजा भी की जाती है।
वृषभ सक्रांति को दान पुण्य का विशेष महत्व माना गया है । ऐसी मान्यता भी है कि वृषभ सक्रांति पर अगर गौ दान की जाए तो जीवन में कोई अभाव नहीं रहते। इस दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान और व्रत का भी विधान है। बहुत से लोग पितर तर्पण के लिए भी इस दिन को विशेष रूप से चुनते हैं।
ऐसी मान्यता भी है कि सक्रांति मुहूर्त के पहले आने वाली 16 घड़ियां बहुत ही शुभ होती हैं और इस समय में दान, पितर तर्पण और शांति पूजा करवाने का बहुत अच्छा फल मिलता है।
इस दिन भगवान सूर्य की आराधना से जीवन में लक्ष्य प्राप्ति होती है, आशाओं व खुशियों का संचार होता है, नेतृत्व क्षमता विकसित होती है और सांसारिक मामलों में सफलता मिलती है।
गुरमीत बेदी
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