प‍श्चिमी लोग इस विधि से करते हैं, आत्माओं से बातें !

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Mar, 2020 08:51 AM

westerners do this by talking to spirits

गीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है। इसकी अनंत महिमा है। यह वह ब्रह्मविद्या है जिसे जान लेने के बाद मनुष्य जन्म-मरण के चक्र से सर्वथा मुक्त हो जाता है। किसी भी व्यक्ति की मौत के

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गीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है। इसकी अनंत महिमा है। यह वह ब्रह्मविद्या है जिसे जान लेने के बाद मनुष्य जन्म-मरण के चक्र से सर्वथा मुक्त हो जाता है। किसी भी व्यक्ति की मौत के साथ शरीर मरता है आत्मा नहीं वह तो अजर-अमर है। एक शरीर की मृत्यु के साथ ही आत्मा नए शरीर की खोज में निकल जाती है। जब उसे उसकी इच्छाओं के अनुरूप शरीर मिल जाता है तो वह उसमें प्रवेश करके नश्वर संसार में अपनी नई पहचान बनाती है।

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आत्मा शरीर में रहकर जैसे कर्म करती है उसे उसके अनुरूप ही शरीर प्राप्त होता है। आत्मा को अपनी इच्छा के अनुरूप शरीर न मिले तो वह उर्जा का रूप लेकर ब्रह्माण्ड में विचरण करती है। इस उर्जा का जीवित लोगों के संसार से कोई संबंध नहीं होता।

सदियों से ही सांसारिक लोग आत्माओं से संपर्क बनाने का प्रयत्न करते आए हैं। जिसके लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग किया जाता रहा है और बहुत हद तक इसमें सफल भी हुए हैं। तो आईए जानें प‍श्चिमी विधियों से कैसे करते हैं आत्माओं से बातें। 

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एक हल्के और गोल तिपाए मेज के नीचे लकड़ी का एक गुटका रख दिया जाता है। मेज के चारों और लोग बैठ जाते हैं और जिस आत्मा को बुलाना होता है। सभी एकजुट होकर उसका ध्यान करते हैं। कहते हैं जब अचानक से टेबल के पाए खटखटाने लगते हैं तो माना जाता है कि आत्मा आ गई है। फिर टेबल पर बैठे लोग उससे प्रश्न करते हैं और संकेतों के द्वारा टेबल पर जब खटखट होती है तो सभी प्रश्नों का उत्तर जाना जाता है। यह विधि बहुत से पैरानार्मल एक्सपर्ट प्रयोग करते हैं।

आत्माओं से बातें करने का एक माध्यम है प्लेनचिट और ओइजा बोर्ड। यह दिल की शेप का लकड़ी का टुकड़ा होता है। इसके पीछे की ओर सभी तरफ घूमने वाले पहिए होते हैं। इसकी नोक पर जो छेद होता है उसमें पेंसिल लगाई जाती है। आत्मा को बुलाने से पूर्व टेबल पर एक कोरा कागज रखकर उसके ऊपर ओइजा बोर्ड रख दिया जाता है। फिर जिस शख्स की आत्मा का आवाहन किया जाता है, उसका एकाग्रता से ध्यान किया जाता है।

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मान्यता है कि आत्मा के आते ही यंत्र का संचालन अपने आप होने लगता है। अधिकतर इस यंत्र का प्रयोग असंतुष्ट और नाराज़ आत्माओं को बुलाने के लिए किया जाता है। आत्मा के आते ही ओइजा बोर्ड में गति आ जाती है। आत्मा से जब कुछ पूछा जाता है तब ओइजा बोर्ड अपने आप चलने लगता है और उसमें लगी पेंसिल से अपने आप ही कागज पर उत्तर लिखे जाने लगते हैं। ओइजा बोर्ड के माध्यम से आत्माओं से कुछ भी प्रश्न करके उनसे उनके उत्तर जाने जा सकते हैं।

प्राचीन इंडोनेशिया के लोग 'जेलंगकुंग' विधि के द्वारा आत्माओं से संपर्क स्थापित करते थे। तीन से लेकर पांच लोग एक कमरे में बंद हो जाते हैं। धूप-अगरबत्ती जलाकर मंत्रों का उच्चारण करते हैं। फिर दो लोग बांस के बने एक पुतले को पकड़ कर बैठ जाते हैं। पुतले के नीचले हिस्से में पेंसिल लगी होती है। मंत्रों के अधीन होकर जो आत्माएं पास से गुजर रही होती हैं, वो पुतले में समा जाती हैं और पुतले का भार बढ़ जाता है। फिर व्यक्ति आत्माओं से प्रश्न करते हैं, उत्तर में पुतला लिख कर उत्तर देता है।

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इंडोनेशिया के लोग मानते हैं कि यह तरीका जोखिम भरा होता है। केवल कुशल विशेषज्ञ के द्वारा ही यह क्रिया की जानी चाहिए। अगर पुतले में से आत्मा न निकाल पाए तो अपहानि होती है। तंत्रिक और जादू-टोने वाले यह तरीका अपनाते हैं लेकिन यह तरीका वैज्ञानिक नहीं है।

किसी भी व्यक्ति को हिप्नोटाइज करके उसके पिछले जन्म के घटनाक्रम को देखा जा सकता है। हिप्नोसिस के द्वारा परलोक सिधार चुकी आत्माओं से भी बातें करना संभव है। विशेषज्ञ कहते हैं की जब व्यक्ति आत्माओं के संपर्क में होता है तो उसकी आवाज में एकदम परिवर्तन आ जाता है, उन आवाजों को रिकार्ड भी किया जा सकता है।

आत्माओं की आवाजें जिस मशीन में रिकार्ड की जाती हैं, उसे इलेक्ट्रॉनिक वॉयस प्रोजेक्शन यानि ईवीपी कहा जाता है। अधिकतर इस तकनिक का यूरोप में इस्तेमाल होता है।

       

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