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क्या है कान छिदवाने के पीछे की असली वजह ?

Edited By Lata,Updated: 25 Sep, 2019 02:54 PM

what is the real reason behind the piercing

आज के समय में हर कोई किसी न किसी फैशन को फॉलो कर रह है। उसी के चलते व्यक्ति कई तरह की ऐसी चीज़े अपना लेता है,

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज के समय में हर कोई किसी न किसी फैशन को फॉलो कर रह है। उसी के चलते व्यक्ति कई तरह की ऐसी चीज़े अपना लेता है, जोकि उसके लिए केवल फैशन के लिए होती है लेकिन उसे उसके पीछे पहने जाने का कारण नहीं पता होता है। जैसे कि कान छिदवाना हिंदू संस्कारों का हिस्सा रहा है, यह हमारी रीति-रिवाज और परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। कर्ण भेदन की इस क्रिया का हमारी सभ्यता में बहुत महत्व है। बहुत से पुरुषों ने भी कान छिदवा रखा है, हालांकि ये अब हर किसी के लिए फैशन बन चुका है। इसके साथ ही विदेशों में भी कान छिदवाने की परंपरा चलन में है। चलिए आगे जानते हैं इसकी धार्मिक व वैज्ञानिक मान्यता के बारे में।

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वैज्ञानिक मान्यता
कुछ वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार जिस जगह कान छिदवाया जाता है, वहां दो बहुत जरूरी एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स मौजूद होते हैं। पहला मास्टर सेंसोरियल और दूसरा मास्टर सेरेब्रल जोकि सुनने की क्षमता को बढ़ाते हैं। कहते हैं कि जब कान छिटवाए जाते हैं तो ओसीडी पर इसका प्रभाव पड़ता है और कई तरह की मानसिक बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। 
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माना जाता है कि कान छिदवाने से दिमाग के कई हिस्से सक्रिय हो जाते हैं इसलिए जब बच्चे के दिमाग का विकास हो रहा हो तभी बच्चे का कान छिदवा देना चाहिए। कान छिदवाने से हमारी आंखों की रोशनी सही रहती है, इसके अलावा यह हमारी ब्रेन पावर को बढ़ाने का काम भी करता है। दरअसल, कान के निचले हिस्से में एक प्वाइंट होता है, जब वो दबता है तो उससे आंखों की रोशनी तेज होती है। मान्यता है कि कान छिदवाने से लकवा की बीमारी नहीं होती है। वहीं कान छिदवाने से साफ सुनने में भी मदद मिलती है।

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