Edited By Jyoti,Updated: 04 Jul, 2020 06:05 PM
सावन को इस खास अवसर पर हम आपको लगातार इससे जुड़ी तमाम तरही की जानकारी देने की प्रयास करे रहे हैं।
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सावन को इस खास अवसर पर हम आपको लगातार इससे जुड़ी तमाम तरही की जानकारी देने की प्रयास करे रहे हैं। अपनी इसी को बरकरार रखते हुए हम आपके लिए लेकर आएं सावन में शिव जी की पूजा से जुड़ी खास बातें। जिसमें हम आपको बताएंगे कि सावन में शिव जी के किन-किन स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। लेकिन इससे पहले बता दें कि इस बार सावन का माह 6 जुलाई से शुरू हो रहा, जिस दौरान पांच सोमवार पढ़ेंगे। 03 अगस्त को सोमवार के साथ इस माह का समापन हो जाएगा।
हिंदू धर्म के ग्रंथों में इस माह का अधिक महत्व बताया गया है। शिवपुराण में तो वर्णन मिलता है कि महाशिवरात्रि के अलावा ये माह एकमात्र ऐसा महीना माना जाता है जिस दौरान भगवान शिव को प्रसन्ना करना बहुत लाभ प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार सावन के माह में यूं तो शिवलिंग की पूजा का अधिक महत्व था, मगर कुछ लोग शिवलिंग की पूजा न करके शिव प्रतिमा की पूजा करते हैं। ऐसे में उन्हें लगता है कि उन्हें पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त नहीं होती। तो बता दें ऐसा नहीं है, शिवलिंग हो या शिव प्रतिमा दोनों की पूजा का फल पूरी मिलता है। लेकिन इसके लिए कुछ बातों का पता होना ज़रूरी है।
आइए जानते हैं कि सावन में शिव जी की किन प्रतिमाओं की पूजा करना लाभदायक साबित होती है-
कहा जाता है सावन में भगवान शिव-पार्वती के साथ-साथ उनके पुत्र की पूजा करना भी अधिक लाभदायक माना जाता है। कहा जाता है इससे जातक को सुख-सुविधा की सभी वस्तुएं प्राप्त होती हैं तथा जीवन में हर सुख प्राप्त होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार भगवान शंकर की जिस मूर्ति में उनका एक पैर, चार हाथ और तीन नेत्र तथा हाथ में त्रिशूल हो उस मूर्ति को घर की ऐसी दिशा में रखना चाहिए जहां उनके एक तरफ उत्तर दिशा में श्री हरि विष्णु विराजमान हों तो दूसरी ओर ब्रह्मा जी। कहा जाता है इन तीनों की पूजा से जातक को अपने सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
मान्यताओं के अनुसार जिस प्रतिमा में भगवान शिव के तीन पैर, सात हाथ और दो सिर हों, तथा भगवान शिव अग्निस्वरूप में हों ऐसी प्रतिमा की पूजा से अन्न की प्राप्ति होती है।
वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन में भगवान शिव तथा देवी पार्वती की बैल पर बैठी हुई मूर्ति की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है। तो वहीं अर्द्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है तथा अच्छी पति-पत्नी मिलने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जिसमें प्रतिमा या चित्र में भगवान शंकर उपदेश देने वाली स्थिति में हों, उनके इस स्वरूप की पूजा व्यक्ति में विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
जिन लोगों के जीवन में मान-सम्मान की कमी हो रही हो देवों के देव महादेव के उस प्रतिमा या चित्र की पूजा करनी चाहिए जिसमें उन्हें नंदी और माता पार्वती के साथ सभी गणों से घेर रखा हुआ हो।
इसके अतिरिक्त शिव शंकर जिस प्रतिमा में माता पार्वती सहित नृत्य कर रहे हों, पूजा से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।