Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 Feb, 2024 08:30 AM
विश्व पुस्तक मेले के पांचवें दिन क्षेत्रीय भाषाओं में पाठकों की रुचि खूब देखने को मिल रही है। मेले में पहुंच रहे बच्चे, बड़े, वृद्ध हर आयु के पाठक
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नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): विश्व पुस्तक मेले के पांचवें दिन क्षेत्रीय भाषाओं में पाठकों की रुचि खूब देखने को मिल रही है। मेले में पहुंच रहे बच्चे, बड़े, वृद्ध हर आयु के पाठक पुस्तक मेले में रोजाना शिरकत करते नजर आ रहे हैं। बच्चों की संख्या में इस बार मेले में भारी संख्या में पंहुच रही है बच्चे अपने माता-पिता के अलावा अपने दादा-दादी के साथ रोजाना किताबें खोजते देखे जा रहे हैं। युवा मांग कर रहे हैं कि किताबें गुजराती, मराठी, बांग्ला सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रकाशित हों। मेले में पाठकों की बदलते रुझान को देखते हुए कई प्रकाशक छुट के साथ पुस्तकें दे रहे हैं। धार्मिक पुस्तके अपनी 1500 रुपये की रामायण 200 रुपये में पाठकों के लिए रखी है और पाठकों की हमें खूब सराहना मिल रही है।
लोककथाएं देंगी कला व संस्कृति की जानकारी: तमिल, तेलगू और डोंगरी ही नहीं कोंकडी और ओडिय़ा भाषा की लोक कथाएं हिंदी में उपलब्ध हैं। पहली बार विश्व पुस्तक मेले में ऐसी किताबों की पूरी सीरीज उपलब्ध है। भारत के लोक को एक करने के उद्देश्य से हिंदी में अनुवाद किया गया है। लोक कथाएं विभिन्न राज्यों की कला और संस्कृति की जानकारी दें।
जबकि हर भाषा की लोकप्रिय कहानियां भारत की एकात्मता को पोषित करेंगी। राज्यों के लोकप्रिय कथाओं के अलावा क्षेत्रीय लेखकों की बंगाली, मराठी, गुजराती, तमिल, तेलगू, ओड़िया, असमी, कन्नड़, कोंकड़ी भाषा की श्रेष्ठ कहानियां हिंदी में अनुवाद कर मेले में लाई गई हैं।