21 साल की उम्र में मयंक प्रताप सिंह बनेंगे युवा जज, जानें क्या है सफलता का राज

Edited By Updated: 23 Nov, 2019 04:06 PM

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हर जीवन की कहानी एक सी नहीं होती, लेकिन किसी मोड़ पर कुछ ऐसा ...

नई दिल्ली: हर जीवन की कहानी एक सी नहीं होती, लेकिन किसी मोड़ पर कुछ ऐसा होता है जिससे पूरी कहानी बदल जाती है। बहुत से उम्मीदवार अपना ख्वाब पूरा करने के लिए वर्षों तैयारी करते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो पहले ही प्रयास में और बेहद कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर लेते हैं। इन्हीं होनहारों में से एक हैं जयपुर के रहने वाले मयंक प्रताप सिंह। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने 23 साल की उम्र में सबसे युवा जज होने का पूर्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। गौरतलब है कि इस साल ही आरजेएस में अभ्यर्थी की न्यूनतम उम्र को 23 से घटाकर 21 साल किया गया था।  

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मयंक प्रताप सिंह ने 21 साल यानि बेहद कम आयु में न्यायिक सेवा परीक्षा 2018 पास करने के साथ ही भारत के सबसे युवा जज बन गए हैं। मंयक ने साल 2014 में राजस्थान यूनिवर्सिटी में पांच साल के एलएलबी कोर्स में दाखिला लिया था, जो इसी साल पूरा हुआ है। उन्होंने बताया कि मैं अपनी सफलता पर बहुत गर्व महसूस करता हूं। मेरे परिवार, शिक्षकों, शुभ-चिंतकों और सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं। मयंक अब लॉ की पढ़ाई करने वाले अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा बनेंगे।

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परीक्षा के बाद 9 नवंबर को मयंक का साक्षात्कार हुआ था। जिसमें सबरीमाला से जुड़े प्रश्न पूछे गए थे। मयंक बताया कि वह अपनी सफलता के प्रति आश्वस्त थे। लेकिन उन्होंने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पहली रैंक हासिल कर लेंगे। अब यह एक रिकॉर्ड बन गया है। मयंक ने कहा कि वह पूरी ईमानदारी से न्यायिक सेवा देंगे।

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मयंक के माता-पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और बड़ी बहन इंजीनियर हैं। उनके पिता का कहना है कि वह बचपन से ही कड़ी मेहनत करते रहे हैं और स्कूल में हमेशा अव्वल रहे हैं। उन्हें इस परीक्षा में भी पहले ही प्रयास में सफलता मिली है। 

परीक्षा के लिए मयंक ने अपनाएं ये टिप्स 

1.मयंक का कहना है कि वह हर रोज नियमित रूप से 6-8 घंटे पढ़ाई करता था लेकिन बाद में उसने पढ़ाई का समय 12 घंटे तक बढ़ा दिया।
2. वह अपनी सफलता का श्रेय सेल्फ स्टडी को देते है। मयंक ने कहा कि “मैंने अपनी पढ़ाई के लिए अपना व्यक्तिगत समय परीक्षा की तैयारी करने में लगाया जिससे मैं आज टॉपर बना हूं। कॉलेज की पढ़ाई ने मुझे बहुत मदद की। ”
3. मयंक कहते हैं कि वह अपनी सफलता के प्रति आश्वस्त थे, लेकिन यह उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह पहली रैंक लाकर रिकॉर्ड कायम कर देंगे। उन्होंने कहा कि वह ईमानदारी से न्यायिक सेवा देंगे।
4. उन्होंने ने कहा कि मैंने अपने जीवन में कभी फेसबुक अकाउंट नहीं बनाया था। वास्तव में, मैंने अपने परीक्षा समय के दौरान अन्य सभी सोशल मीडिया खातों को निष्क्रिय कर दिया था। मैंने सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के कुछ दिलचस्प या महत्वपूर्ण निर्णय पर नज़र रखने के लिए केवल कानूनी अपडेट प्राप्त करने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया। ”
5. मयंक का कहना है कि वह अपने लक्ष्य पर काफी फोकस्ड थे और इसलिए उन्होंने सामाजिक समारोहों से दूरी बनाए रखी। "मैंने केवल उन समारोहों में भाग लिया जो मेरे लिए महत्वपूर्ण थे।"

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