Kanguva से साउथ इंडियन सिनेमा ने एक बार फिर जीता दिल, ओरिजिनलिटी से किया इंप्रेस

Edited By Varsha Yadav,Updated: 30 Mar, 2024 10:03 AM

south indian cinema once again won hearts with kanguva

आज की तेज रफ्तार वाली दुनिया में कैची गानों और हीरोइज्म के साथ एक्शन भरे फिल्मों की स्टोरी टेलिंग और अनोखे मैटेरियल की वजह उन्हे दर्शकों द्वारा पसंद और याद रखा जाता है। साउथ फिल्म इंडस्ट्री जो अब पैन इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में बदल गया है, वह कहा जाए...

नई दिल्ली। आज की तेज रफ्तार वाली दुनिया में कैची गानों और हीरोइज्म के साथ एक्शन भरे फिल्मों की स्टोरी टेलिंग और अनोखे मैटेरियल की वजह उन्हे दर्शकों द्वारा पसंद और याद रखा जाता है। साउथ फिल्म इंडस्ट्री जो अब पैन इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में बदल गया है, वह कहा जाए तो एक आइडल फिट है। बता दें कि साउथ इंडस्ट्री कभी भी एडेप्टेशंस पर ध्यान नहीं देती है, बल्कि वह हमेशा दर्शकों के लिए कुछ नया और फ्रेश लेकर आते हैं। उनकी कहानियां कमर्शियल सक्सेस के साथ बेंचमार्क भी सेट करती हैं। बाहुबली सीरीज, केजीएफ फ्रेंचाइजी, पुष्पा, आरआरआर, कंतारा, अवने श्रीमन्नारायण, ब्रह्मयुगम और हाल ही में रिलीज हुई 'द गोट लाइफ' जैसी सिनेमेटिक वर्क के सही उदाहरण हैं।

 

साउथ इंडियन फिल्म्स ने एंटरटेनमेंट के लिए एक बेचमार्क बनाया है और उनकी अगली बिग स्क्रीन फिल्म  'कंगुवा' है, जिसमें सुपरस्टार सूर्या, बॉबी देओल और दिशा पटानी साथ नजर आने वाले हैं। इसे सिरुथाई शिवा ने डायरेक्ट किया है, जबकि इसे स्टूडियो ग्रीन ने इसे प्रोड्यूस किया है। यह एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को अलग-अलग तरह के ऐतिहासिक ड्रामे की नई कहानी पेश करने की तैयारी में है, जो अलग-अलग समय के दौरान हुईं थीं। साउथ इंडियन सिनेमा सांस्कृतिक मूल्यों पर ध्यान केन्द्रित करता है और मेकर्स ने दर्शकों के लिए कंगुवा में इन सभी चीजों को रखा है।

 

जहां पुष्पा, आरआरआर और बाहुबली की ऐतिहासिक सफलता ने क्षेत्रीय सिनेमा के पोटेंशियल और क्वालिटी को दर्शाया है, ऐसे में फिल्म इंडस्ट्री ने भी यही किया है। ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कई लोकली और ग्लोबल क्रिटिक्स से तारीफें पा चुकी हैं। अभी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म कंगुवा की झलक देखने वालों ने यह दिखाया है कि यह रीजनल सिनेमा के इतिहास को वर्ल्ड वाइड स्केल पर जारी रखेगा।

 

कंगुवा की शानदार कहानियां, शानदार फिल्मिंग और तकनीक के महारत ने न सिर्फ साउथ इंडियन सिनेमा की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है बल्कि यह भी दिखाया है कि रीजनल फिल्में हमेशा दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं। कहानी सुनाने का हुनर हमेशा से साउथ इंडियन सिनेमा का एक मज़बूत पहलू रहा है, और ये कहानियों में जान फूंकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके राइटर्स अपने काम के लिए अपने अलग-अलग क्षेत्रों की बारीकी को पकड़ने में सक्षम हैं, और वे अपने अलग तरह के स्क्रीन तकनीकों के लिए जाने जाते हैं। वह अलग स्थानों के लोगों की राजनीति, सामाजिक संरचना, बोली, संस्कृति और जीवन शैली को खूबसूरती पेश करते हैं। ऐसे में साउथ सिनेमा से कंगुवा का रिलीज होने की तैयारी, दर्शकों के बीच फिल्म को देखने के लिए उत्साह को बढ़ा रहा है। 

 

यह ओरिजिनलिटी फैक्टर दुनिया भर में क्षेत्रीय भाषाओं के कंटेंट की बढ़ती मांग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ज्यादा से ज्यादा लोग साउथ इंडियन फिल्मों की दृढ़ता, नएपन और कमाल के क्राफ्ट को स्वीकार कर रहे हैं। उनकी फिल्मों ने ग्लोबल स्टेज पर ना मिटने वाली छाप छोड़ी है, 20वीं सदी की शुरुआत में उनकी मामूली शुरुआत से लेकर भारत के लीडिंग सिनेमेटिक इंडस्ट्रीज बनाने तक के रूप में उनकी आज के दौर में स्थिति बेहद मजबूत है।

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