चिंकारा सी.एस.डी. कैं टीन में हर वक्त मिलेगा सारा सामान

Edited By ,Updated: 29 Jan, 2015 11:39 PM

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पूर्व सैनिकों, उनके परिजनों और सैनिकों को उनके घर की जरूरत का सारा सामान हर वक्त और पूरे सम्मान के साथ मिले, यह सपना जींद में साकार हुआ है।

जींद (जसमेर मलिक): पूर्व सैनिकों, उनके परिजनों और सैनिकों को उनके घर की जरूरत का सारा सामान हर वक्त और पूरे सम्मान के साथ मिले, यह सपना जींद में साकार हुआ है। सामान के लिए कैंटीन में जीरो वेटिंग लाने पर पूरा फोकस है और इसे जल्द पूरा किया जाएगा। जींद में चिंकारा सी.एस.डी. कैंटीन के दुकाननुमा से अब इसे मालनुमा बना दिए जाने से यहां सामान लेने के लिए आए पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को काफी सुविधा हो रही है और उनके लिए अच्छी खबर यह है कि जल्द कैं टीन में सामान के लिए जीरो वेटिंग हो जाएगी।

जींद में लगभग 8000 पूर्व सैनिक हैं। इन लोगों को बस अड्डे के पास की चिंकारा सी.एस.डी. कैंटीन से उनके घर की जरूरत का हर सामान मुहैया करवाया जाता है। कैंटीन से सामान और कोटे की शराब लेने के लिए उनके स्मार्ट कार्ड बने हुए हैं। पहले जींद में यहां एक दुकाननुमा कैंटीन होती थी और सैनिकों, पूर्व सैनिकों तथा उनके परिजनों को पैसे देकर भी यहां भीख और खैरात की तरह सामान लेना पड़ता था। महीने में केवल 2 दिन उनके लिए कैंटीन में सामान आता था और वह भी लगभग 60 लाख रुपए का सामान आता था। सामान के लिए पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को घंटों लाइन में लगना पड़ता था। जिस दिन यहां सामान आता था, उस दिन सुबह 6 बजे यह लोग लाइन में लग जाते थे। कई बार उन्हें यहां से खाली हाथ भी लौटना पड़ता था।

1 करोड़ की लागत से बनेगा माल

दुकाननुमा कैंटीन की जगह अब छोटा-सा माल बन गया है। इस पर लगभग 1 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई है। पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों तथा सैनिकों को अब यहां सम्मान के साथ सामान मिलने लगा है। उनके लिए यहां ए.सी. हाल बनाया गया है। इसमें 200 से ज्यादा रैक में सामान रखा गया है और यह लोग अपनी पसंद और जरूरत का सामान किसी माल की तरह लेते हैं और उसके बाद बिल बनवाकर सामान कैंटीन से ले जाते हैं। पहले यहां केवल 3 कर्मचारी सामान का बिल बनाते थे। इससे काफी समय बर्बाद होता था। कैंटीन के मैनेजर कर्नल राजेंद्र सिंह ने बताया कि अब यहां 3 की जगह 8 लोग बिल बनाने के काम पर लगा दिए हैं। इससे बिल बनवाने में समय नहीं लगता। इसके अलावा अब पूरा महीने यहां सामान मिलता है। 60 लाख की जगह अब कैंटीन में 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का सामान आ रहा है। कैंटीन में शराब पहले महीने में एक बार आती थी लेकिन अब 2 बार आती है।

मेजर जनरल झा ने किया कैंटीन का निरीक्षण
भारतीय सेना में 61 सब एरिया के जी.ओ.सी. मेजर जनरल एस.एन. झा ने जींद में दुकाननुमा कैंटीन को मालनुमा कैंटीन बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। उनका यह सपना अब आकर साकार हुआ है तो वीरवार को मेजर जनरल एस.एन.झा इस कैंटीन का निरीक्षण करने के लिए खुद जींद पहुंचे। उन्होंने पूरी कैंटीन में एक-एक चीज के बारे में इसके मैनेजर कर्नल राजेंद्र सिंह से जानकारी जुटाई और यहां सामान लेने के लिए आए पूर्व सैनिकों तथा उनके परिजनों से कैंटीन में उपलब्ध करवाई गई सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। इससे पहले यहां पत्रकारों से बातचीत में मेजर जनरल एस.एन.झा ने कहा कि हरियाणा और राजस्थान में चिंकारा की कुल 23 कैंटीन हैं। इनमें 15 हरियाणा में और 8 राजस्थान में हैं। जींद समेत इन तमाम 23 कैंटीन को उन्होंने इसी तरह मालनुमा बनवाया है। इस पर करोड़ों रुपए की राशि खर्च की गई है।

सामान लेने आए पूर्व सैनिकों ने नई व्यवस्था को सराहा
वीरवार को जींद की चिंकारा सी.एस.डी. कैंटीन में घरेलू जरूरत का सामान लेने आए कुछ पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों से बात की गई तो उन्होंने भी इस नई व्यवस्था को सराहा। कैंटीन में सामान ले रही बड़ौदी गांव के पूर्व सैनिक की पत्नी सुनीता, लजवाना कलां के  पूर्व सैनिक सतपाल, जींद की सुमन और जींद के ही हवलदार मुकेश तथा उसकी पत्नी ने कहा कि पहले यहां सामान लेना पैसे देकर भी भीख मांगने से बदतर था। पसंद का सामान तो मिलता ही नहीं था। सामान उन पर थोंपा जाता था और उसके लिए भी घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता था।

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