PICS: यहां आग के रूप में दर्शन देती हैं 'जगतजननी'

Edited By ,Updated: 27 Jan, 2015 05:16 PM

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हिमाचल प्रदेश का ज्वालाजी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां हर वक्त मां ज्वाला आग की लपटों के रूप में दर्शन देती हैं।

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश का ज्वालाजी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां हर वक्त मां ज्वाला आग की लपटों के रूप में दर्शन देती हैं। मां ज्वाला की कहानी भी बड़ी रोचक है।

दरअसल मां सती की कहानी से जुड़ा ये मंदिर ऐतिहासिक है। यहां लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है। वहीं बताया जा रहा है कि ज्वालाजी का ये मंदिर भगवान शिव की कहानी से भी जुड़ा माना जाता है। मान्यता है कि सती के पिता यानि प्रजापति दक्ष ने एक बार अपने महल में विशाल यज्ञ करवाया जिसमें शिव को छोड़कर सभी देवताओं को न्यौता दिया गया था। वहां सती ने अपने पति शिव भगवान का अपमान देख हवनकुंड में आत्मदाह कर दिया था।

जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो वे काफी क्रोधित हो गए। शिव भगवान मां सती के जले हुए शरीर को लेकर तीनों लोकों में पहुंच गए। दरअसल भगवान शिव के गुस्से को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से सती के शरीर को कई भागों में विखंडित कर दिया।

इससे मां सती के शरीर के हिस्से देश के अलग-अलग जगहों पर गिरे। जहां भी मां सती के शरीर के हिस्से गिरे वहां पवित्र मंदिर बनवाए गए। बताया जा रहा है कि मां सती की जीभ कांगड़ा के इस क्षेत्र में गिरी जहां आज भव्य ज्वालाजी मंदिर बनाया गया है। इसकी ओर खास बात यह है कि यहां बड़ी चट्टानों के बीच से मां सती ज्वाला के रूप में दिखती है।

माना जाता है कि जब अकबर को इस बात का पता चला तो वह भी यहां आ पहुंचा। उसने इस आग को बुझाने की काफी कोशिश की लेकिन हद तो उस समय हो गई जब उसने लोहे के तवों से आग को दबा दिया। लेकिन आग की लपटें दफन होने वाली नहीं थी। आखिरकार अकबर ने हार मान ली और उसने सोने का छत्र मां को समर्पित कर दिया। कहा जाता है कि मां ज्वाला की बड़ी बहन बाकू में थी। यहां आग की लपटें काफी बड़ी थी।






 

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