...और नहीं चढ़ पाए शहीद की प्रतिमा पर 2 फूल

Edited By ,Updated: 08 Jul, 2015 09:49 AM

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देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले रणबांकुरे को अपने गृह नगर में ही भुला दिया गया।

पालमपुर: देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले रणबांकुरे को अपने गृह नगर में ही भुला दिया गया। कारगिल युद्ध के नायक रहे शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के बलिदान दिवस पर दो फूल चढ़ाने ही प्रशासन भूल गया। मात्र परिजनों ने ही बतरा मैदान में स्थापित शहीद की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। प्रशासन पूर्व में भी तर्क देता रहा है कि अधिकारिक रूप से गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस व शहीदी दिवस पर ही शहीदों की प्रतिमाओं पर प्रशासन की ओर से श्रद्धासुमन करने की परंपरा है परंतु शहीद की जन्मस्थली पर ऐसा तर्क किसी के गले नहीं उतरता रहा है।

सर्वोच्च बलिदान के मात्र 16 वर्ष पश्चात ही शहीद की शहादत पर श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन न होना स्वयं में प्रश्र खड़ा कर रहा है। शहीद के पिता जीएल बतरा ने कहा कि शहीद कैप्टन विक्रम बतरा की पुण्यतिथि पर उन्होंने अपनी पत्नी सहित शहीद कैप्टन विक्रम बतरा मैदान में स्थापित प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए, वहीं घर पर शांति पाठ का आयोजन किया गया। उन्होंने माना कि प्रशासन की ओर से उन्हें किसी श्रद्धांजलि समारोह के बारे में सूचना नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा कि अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों की स्मृति में आयोजन युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का कार्य करता है।

वहीं शहीद कैप्टन विक्रम बतरा राजकीय महाविद्यालय पालमपुर में परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के शहीदी दिवस पर परिसर में स्थापित उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर शहीद की आत्मा की शान्ति के लिए 2 मिनट का मौन भी रखा गया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य डा. अनिल कुमार जरयाल, महाविद्यालय की प्राध्यापकों व छात्र-छात्राओं ने शहीद की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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