तालिबान के निशाने पर अफगान स्कूल, इकलौते गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल में छात्राओं के जलाए दस्तावेज

Edited By rajesh kumar,Updated: 21 Aug, 2021 05:40 PM

afghanistan s school on the target of taliban

अफगानिस्तान में तालिबान का नियंत्रण होने के बाद इस वक्त जो सबसे ज्यादा खौफजदा हैं, वह है वहां कि महिलाएं। तालिबान ने अफगानिस्तान में एकमात्र गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल SOLA (स्कूल ऑफ लीडरशिप अफगानिस्तान) ने अपने सभी छात्राओं के रिकॉर्ड जला दिए हैं।

इंटरनेशनल डेस्क: अफगानिस्तान में तालिबान का नियंत्रण होने के बाद इस वक्त जो सबसे ज्यादा खौफजदा हैं, वह है वहां कि महिलाएं। तालिबान ने अफगानिस्तान में एकमात्र गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल SOLA (स्कूल ऑफ लीडरशिप अफगानिस्तान) ने अपने सभी छात्राओं के रिकॉर्ड जला दिए हैं। क्योंकि 20 साल पहले जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद उन्होंने लड़कियों की स्कूल जाने पर पांबदी लगाने के साथ उनके स्कूली दस्तावेजों को भी आग लगाकर जला दिए थे। 

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दो दशक बाद फिर अफगानिस्तान में तालिबान का राज फिर लौट आया है। उन्होंने एक बार फिर लड़कियों को स्कूल जाने की रोक लगा दी है। यहीं नहीं उनके दस्तावेज जलाए जा रहे हैं। SOLA की संस्थापक और अफगानी महिला एक्टिविस्ट शबाना बासिज-राशिख ने बताया कि उन्होंने बीती रात स्कूल की छात्राओं के रिकॉर्ड्स जला दिए। बासिज ने ऐसा अपनी छात्राओं और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिहाज से किया है। इसे लेकर उन्होंने एक ट्वीट किया है, जिसमें जलते हुए दस्तावेजों का वीडियो भी है।

शबाना ने ट्विटर पर लिखा, 'मार्च 2002 में, तालिबान के पतन के बाद, हजारों अफगान लड़कियों को प्लेसमेंट परीक्षा में भाग लेने के लिए निकटतम पब्लिक स्कूल में जाने के लिए आमंत्रित किया गया था क्योंकि तालिबान ने सभी छात्राओं के रिकॉर्ड को जला दिया था। मैं भी उन लड़कियों में से एक थी। लगभग 20 साल बाद, अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए एकमात्र बोर्डिंग स्कूल की संस्थापक के तौर पर मैं अपनी सभी छात्राओं के रिकॉर्ड जला रही हूं। मैं ऐसा इन रिकॉर्ड को मिटाने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें और उनके परिवारों को बचाने के लिए कर रही हूं।'

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बता दें कि, तालिबान की सत्ता आने के साथ ही अफगानिस्तान में इस वक्त डर का माहौल बना हुआ है। डर के बावजूद 19 अगस्त को कई अफगान महिलाओं ने हिजाब में तख्तियों के साथ, काबुल की सड़कों पर आतंकियों के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने इस दौरान समान अधिकारों, नीति और अर्थव्यवस्था में भूमिका की मांग की थी। 

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अफगान महिलाओं ने तालिबानी सैनिकों की चौकस निगाहों के बीच यह नारे लगाए। वहीं, तालिबान का कहना है कि वे शरिया कानून के अनुसार महिलाओं को पढ़ने, महिलाओं और जीने की इजाजत देंगे।

 

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