Edited By Shubham Anand,Updated: 03 Sep, 2025 02:14 PM

ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सूचना की स्वतंत्रता (FOI) के तहत मांगी गई जानकारी पर शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य फिजूल और दुरुपयोगात्मक आवेदनों को रोकना है। हालांकि, इस कदम की आलोचना हो रही है, क्योंकि यह पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों पर...
इंटरनेशनल डेस्क : हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा प्रस्तावित एक योजना के तहत, सूचना की स्वतंत्रता (Freedom of Information - FOI) के अंतर्गत मांगी गई जानकारी के लिए शुल्क लगाए जाने की संभावना व्यक्त की गई है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य कथित तौर पर "फिजूल", "दुरुपयोगात्मक" या "उत्पीड़नात्मक" आवेदनों की संख्या को कम करना है। हालांकि, इस योजना ने न केवल जनता बल्कि कई कानूनी विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं के बीच चिंता पैदा कर दी है।
सूचना की स्वतंत्रता का कानून किसी भी लोकतांत्रिक देश की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की नींव होता है। यह नागरिकों को यह अधिकार देता है कि वे सरकार से जानकारी प्राप्त कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि सरकारें जवाबदेह और पारदर्शी तरीके से काम कर रही हैं। ऑस्ट्रेलिया में यह अधिकार अब तक मुफ्त या बहुत ही कम शुल्क के साथ उपलब्ध था। लेकिन अब यदि सरकार इस पर शुल्क लगाने का निर्णय लेती है, तो यह आम नागरिकों, पत्रकारों और शोधकर्ताओं के लिए सूचना प्राप्त करना कठिन बना सकता है।
प्रस्ताव का उद्देश्य और तर्क
सरकार का कहना है कि कई बार FOI के अंतर्गत ऐसे आवेदन आते हैं जो केवल सिस्टम का दुरुपयोग करने के लिए बनाए जाते हैं – जैसे कि बहुत ज्यादा संख्या में आवेदन भेजना, गैर-जरूरी जानकारियाँ मांगना, या सरकार को परेशान करने के इरादे से आवेदन करना। सरकार का मानना है कि इन आवेदनों को नियंत्रित करने के लिए शुल्क लगाना जरूरी है ताकि केवल गंभीर और महत्वपूर्ण मामलों में ही आवेदन किए जाएँ।
आलोचना और विपक्ष
हालांकि, इस प्रस्ताव की काफी आलोचना हो रही है। कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का कदम पारदर्शिता की मूल भावना के खिलाफ है। सूचना तक पहुँच को सीमित करने से लोकतंत्र कमजोर होता है। यदि शुल्क लगाया गया, तो इससे निम्न आय वर्ग के लोग या वे नागरिक जो सरकार से जवाबदेही मांगना चाहते हैं, हतोत्साहित हो सकते हैं।
विपक्षी दलों, विशेष रूप से कोएलिशन के कुछ सदस्यों ने भी इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और नागरिक अधिकारों पर सीधा प्रहार है। उनका यह भी कहना है कि FOI प्रणाली में पहले से ही कई चुनौतियाँ हैं, जैसे कि देरी से जवाब मिलना या जानकारी को अधूरी स्थिति में देना – ऐसे में शुल्क लगाने से स्थिति और भी खराब हो सकती है।
पारदर्शिता बनाम प्रशासनिक सुविधा
यह एक गंभीर सवाल है कि क्या प्रशासनिक सुविधा के नाम पर पारदर्शिता से समझौता किया जा सकता है? लोकतंत्र में नागरिकों का अधिकार है कि वे सरकार से सवाल करें और जवाब प्राप्त करें। यदि इस अधिकार के रास्ते में आर्थिक बाधाएँ खड़ी की जाती हैं, तो यह केवल सत्ता को और अधिक अपारदर्शी बनाएगा।
सरकार को चाहिए कि वह FOI प्रणाली में सुधार लाए, दुरुपयोग को रोकने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक उपाय अपनाए, लेकिन किसी भी हालत में सूचना के अधिकार को सीमित करने वाले कदम न उठाए।