Edited By Tanuja,Updated: 05 Aug, 2025 06:47 PM

रूस में यूट्यूब वीडियो न चलना, स्वतंत्र मीडिया साइट्स के खाली पेज खुलना और मोबाइल डेटा का घंटों-घंटों तक गायब रहना अब रोज़मर्रा की हकीकत बन गई है। लेकिन यह ...
International Desk: रूस में यूट्यूब वीडियो न चलना, स्वतंत्र मीडिया साइट्स के खाली पेज खुलना और मोबाइल डेटा का घंटों-घंटों तक गायब रहना अब रोज़मर्रा की हकीकत बन गई है। लेकिन यह किसी तकनीकी खराबी का मामला नहीं बल्कि एक सुनियोजित डिजिटल सेंसरशिप है, जिसका उद्देश्य है आम नागरिकों को स्वतंत्र और अंतरराष्ट्रीय सूचनाओं से दूर रखना।
अधिकार समूहों और डिजिटल विशेषज्ञों के अनुसार, क्रेमलिन द्वारा इंटरनेट को नियंत्रित करने का यह एक दीर्घकालिक प्रयास है। इसका उद्देश्य रूस के नागरिकों को ऐसी सूचनाओं से वंचित करना है जो राज्य के आधिकारिक नैरेटिव से मेल नहीं खातीं। कई लोकप्रिय वेबसाइटों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इंटरनेट ट्रैफिक की सख्त निगरानी और हेरफेर की जा रही है। वीपीएन ऐप्स को भी लगातार ब्लॉक किया जा रहा है। इस गर्मी, रूसी प्रशासन ने मोबाइल इंटरनेट तक पहुंच को और कठिन बना दिया। कई क्षेत्रों में घंटों या दिनों तक डेटा सेवाएं बंद रहीं। यूज़र्स को "अवैध सामग्री" खोजने पर सज़ा देने वाला नया कानून भी लागू किया गया।
रूसी सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह व्हाट्सऐप जैसे अंतरराष्ट्रीय मैसेजिंग ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगा सकती है। इसके स्थान पर एक नया "राष्ट्रीय मैसेंजर ऐप" लॉन्च किया जा सकता है जिस पर सरकारी निगरानी कहीं अधिक सख्त होगी। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विदेशी इंटरनेट सेवाओं को “बंद” करने की बात कही है और अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे "दुश्मन देशों" की ऐप्स और वेबसाइटों की सूची तैयार करें जिन्हें ब्लॉक किया जाएगा। ह्यूमन राइट्स वॉच की शोधकर्ता अनास्तासिया क्रूप ने इस रणनीति को "death by a thousand cuts" करार दिया यानी धीरे-धीरे, लेकिन पूर्ण नियंत्रण की ओर एक कदम। “थोड़ा-थोड़ा करके, आप एक ऐसे बिंदु तक पहुंचते हैं जहां हर चीज़ सरकार के नियंत्रण में होती है।”