Edited By Tanuja,Updated: 20 Aug, 2025 05:44 PM

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक खुली बहस के दौरान पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ हुए ‘‘यौन हिंसा के जघन्य अपराधों'' की ओर ध्यान...
International Desk: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक खुली बहस के दौरान पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ हुए ‘‘यौन हिंसा के जघन्य अपराधों'' की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा कि यह सिलसिला ‘‘आज भी बिना किसी दंड के'' जारी है। बहस के दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधि की ओर से लगाए गए ‘बेबुनियाद आरोप' पर मंगलवार को संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए भारतीय राजनयिक एल्डोस मैथ्यू पुन्नूस ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा की 1971 की घटनाएं ‘‘शर्मनाक रिकॉर्ड का मामला है।''
पुन्नूस ने ‘‘संघर्ष क्षेत्रों में यौन हिंसा से बचे लोगों के लिए जीवन रक्षक सेवाओं और सुरक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अभिनव रणनीति'' विषय पर खुली बहस में अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तानी सेना ने 1971 में जिस तरह बेखौफ होकर पूर्वी पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के जघन्य अपराध किए, वह शर्मनाक है।'' भारतीय राजनयिक स्पष्टतः 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) में बड़े पैमाने पर हुए नरसंहार और बलात्कार की घटनाओं का उल्लेख कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘यह निंदनीय प्रवृत्ति आज भी बेरोकटोक और बिना किसी दंड के जारी है।''
पुन्नूस ने कहा, ‘‘धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ उत्पीड़न के हथियार के रूप में हजारों कमजोर महिलाओं और लड़कियों के अपहरण, तस्करी, बाल विवाह, घरेलू दासता, यौन हिंसा और जबरन धर्मांतरण की खबरें एवं विवरण हाल ही में जारी ओएचसीएचआर रिपोर्ट में भी दिए गए हैं।'' उन्होंने आरोप लगाया कि यह ‘‘विडंबनापूर्ण'' है कि जो लोग इन अपराधों को अंजाम देते हैं, वे अब ‘‘न्याय के चैंपियन के रूप में मुखौटा पहन रहे हैं।'' भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘‘दोहरापन और पाखंड स्वयंसिद्ध है।'' पुन्नूस पाकिस्तान के इस आरोप का जवाब दे रहे थे कि कश्मीर में ‘‘समुदायों को दंडित करने और अपमानित करने के लिए लंबे समय से यौन हिंसा का सहारा लिया जा रहा है।''