Edited By Tanuja,Updated: 21 Dec, 2025 01:46 PM

खुफिया आकलन के मुताबिक बांग्लादेश योजनाबद्ध ‘कंट्रोल्ड ब्रेकडाउन’ की ओर बढ़ रहा है, जहां संस्थाओं को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है। सेना के भीतर असंतोष, ISI की कथित दखल और कानून-व्यवस्था की गिरावट से भारत के लिए सीमा पार सुरक्षा जोखिम बढ़ते दिख रहे...
Dhaka: बांग्लादेश इस वक्त सिर्फ राजनीतिक उथल-पुथल नहीं, बल्कि एक गहरे और योजनाबद्ध संस्थागत संकट से गुजर रहा है। खुफिया आकलन के अनुसार देश को धीरे-धीरे ‘कंट्रोल्ड ब्रेकडाउन’ की दिशा में धकेला जा रहा है जो एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें राज्य की रीढ़ मानी जाने वाली संस्थाओं को अचानक नहीं, बल्कि रणनीतिक तरीके से कमजोर किया जाता है। खुफिया रिपोर्ट बताती है कि कानून-व्यवस्था का बिगड़ना किसी तात्कालिक राजनीतिक बदलाव का नतीजा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति है। उद्देश्य है सत्ता संतुलन को बिगाड़ना और ऐसा शून्य पैदा करना, जिसमें कट्टरपंथी और भारत-विरोधी ताकतें प्रभाव जमा सकें।
सेना क्यों निशाने पर?
बांग्लादेश की सेना को लंबे समय से प्रो-इंडिया माना जाता रहा है। हालिया विरोध प्रदर्शनों के दौरान आर्मी चीफ जनरल वाकर उज ज़मान का भारतीय सेना प्रमुख से संवाद इसी भरोसे को दर्शाता है।रिपोर्ट का दावा है कि यही कारण है कि पाकिस्तान की ISI कथित तौर पर बांग्लादेशी सेना को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, ताकि उसकी एकजुटता और निर्णय क्षमता प्रभावित हो। और ISI द्वारा ऐसा ही प्लान भारत के लिए भी बनाया जा रहा है।
‘सेलेक्टिव एनफोर्समेंट’ से बिगड़ती स्थिति
ISI की भूमिका के सिर्फ आशंका नहीं, संकेत भी हैं। खुफिया इनपुट्स के मुताबिक ISI अफवाहें फैलाने, वैचारिक ध्रुवीकरण बढ़ाने, और चुनिंदा अधिकारियों को प्रभावित करने की कोशिशों में सक्रिय है।मकसद स्पष्ट बताया जा रहा है सेना की संस्थागत मजबूती और भरोसे को कमजोर करना।रिपोर्ट में चुनिंदा कार्रवाई (Selective Enforcement) को भी बड़ा खतरा बताया गया है। दंगाइयों और उपद्रवियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कार्रवाई से सुरक्षा बलों में यह धारणा गहराती जा रही है कि हालात को जानबूझकर बिगड़ने दिया जा रहा है।शीर्ष सैन्य नेतृत्व फिलहाल सत्ता में दखल से बच रहा है, लेकिन यह रणनीतिक संयम अब सेना की साख पर भारी पड़ सकता है।
भारत के लिए क्यों खतरनाक?
- खुफिया एजेंसियों के मुताबिक भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा स्पिलओवर इफेक्ट है।
- सीमा पार घुसपैठ
- तस्करी नेटवर्क का विस्तार
- उग्रवादी तत्वों की सक्रियता
- बंगाल की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा जोखिम
यदि मौजूदा ट्रेंड जारी रहा, तो इसका असर सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूर्वी भारत, उत्तर-पूर्व और समुद्री सुरक्षा पर सीधा पड़ेगा।खुफिया रिपोर्ट का निष्कर्ष बेहद साफ और चिंताजनक है। बांग्लादेश में हालात अपने आप नहीं बिगड़ रहे, बल्कि उन्हें एक तय दिशा में धकेला जा रहा है। इस अस्थिरता का सीधा फायदा भारत-विरोधी और कट्टरपंथी ताकतों को मिल रहा है, जबकि पूरा क्षेत्र एक नए सुरक्षा संकट के मुहाने पर खड़ा दिख रहा है।