35 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा ट्रंप के फैसले का असर, भारत ने शुरू की लॉबिंग

Edited By ,Updated: 25 Feb, 2017 03:12 PM

india steps up lobbying against curbs on h 1b visas

भारत ने अमरीका में एच-1 बी वीजा में कटौती के खिलाफ लॉबिंग शुरू कर दी है...

नई दिल्लीः भारत ने अमरीका में एच-1 बी वीजा में कटौती के खिलाफ लॉबिंग शुरू कर दी है। हाल ही में अमरीका में एच-1बी वीजा कम करने के लिए बिल पेश किया गया है। इस बिल के मुताबिक, यह वीजा उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिनकी सैलरी कम से कम 1.30 लाख अमरीकी डॉलर होगी। इससे इंडिया के आई.टी. सैक्टर के लिए खतरा पैदा हो गया है क्योंकि, इसका सीधा असर आई.टी. सैक्टर से जुड़े करीब 35 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा। 

 वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, इस बारे में डोनाल्ड ट्रम्प सरकार से बातचीत की गई है। ट्रम्प सरकार से कहा गया है कि इस फैसले से भारत की 150 अरब डॉलर के आई.टी. सैक्टर पर असर पड़ेगा। सीतारमनण ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमरीका में भारत के निवेश से अमरीकी लोगों को भी रोजगार मिलता है इसलिए अमरीकी गवर्नमैंट को इस पर गौर करना चाहिए। हाल ही में पी.एम. नरेंद्र मोदी ने भी अमरीकी गवर्नमैंट से अपील की थी वह इंडियंस की अमरीका में एंट्री के लिए पारदर्शी नीति अपनाएं।

बता दें कि अमरीका में 90 के दशक से टाटा कंसल्टेंसी सर्विस, विप्रो, इंफोसिस लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं, जिनसे अमरीका के भी हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इलेक्शन कैंपेन के दौरान ही ‘अमरीका फर्स्ट’ का नारा दिया था। प्रेसिडेंट बनने के बाद से ही ट्रंप ने इस पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। इसमें एच-1बी वीजा भी शामिल है।

दरअसल, एच-1 बी वीजा पाने वाले गैर-अमरीकी व्यक्ति को अमरीका में 6 साल तक रहने की परमिशन मिल जाती है।  अमरीका में एच-1 बी वीजा पाने वाले भारतीयों की संख्या लाखों में है। इसके चलते इनकी जॉब्स पर खतरा मंडराने लगा है। द नैशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) का एक डेलिगेशन इस समय अमरीका में मौजूद है, जो ट्रम्प सरकार से बात करने वाला है।
 

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