Edited By Tanuja,Updated: 13 Aug, 2025 03:03 PM

दुनिया के सबसे विकसित देशों में गिना जाने वाला जापान अब एक ऐसे संकट से जूझ रहा है, जो उसकी अर्थव्यवस्था और अस्तित्व दोनों को हिला सकता है। 2024 में देश में पैदा होने वाले ...
International Desk: दुनिया के सबसे विकसित देशों में गिना जाने वाला जापान अब एक ऐसे संकट से जूझ रहा है, जो उसकी अर्थव्यवस्था और अस्तित्व दोनों को हिला सकता है। 2024 में देश में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या 125 साल के इतिहास में सबसे कम रही सिर्फ 6.86 लाख जन्म, जबकि मौतें 16 लाख से ज्यादा। इसका मतलब, हर एक जन्म के बदले दो लोग दुनिया से चले गए।
जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने इसे ‘साइलेंट इमरजेंसी’ करार देते हुए चेताया है कि अगर हालात नहीं बदले तो आने वाले दशकों में जापान मानव संसाधन के भीषण संकट में फंस जाएगा।आंकड़े बताते हैं कि देश की कुल आबादी अब 12 करोड़ है और लगातार 16वें साल इसमें गिरावट दर्ज की गई है। जन्मदर फिलहाल 1.2 पर अटकी है, जबकि आबादी का 30% हिस्सा 65 साल से ऊपर के बुजुर्गों का है जो दुनिया में सिर्फ मोनाको के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा।
सरकार फ्री चाइल्डकेयर और वर्किंग आवर्स में लचीलापन जैसी नीतियों पर जोर दे रही है, लेकिन महिलाएं बच्चों के जन्म को लेकर तैयार नहीं दिख रहीं। कई तो जीवनभर बिना बच्चे के रहना चाहती हैं। विदेशी आबादी बढ़ाने की कोशिश भी अब तक असरदार साबित नहीं हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर रुझान जारी रहा तो आने वाले सालों में जापान में स्कूल खाली और वृद्धाश्रम भरे नजर आएंगे और यह न सिर्फ सामाजिक बल्कि आर्थिक भूचाल भी ला सकता है।