अमेरिका की Indo-Pacific रणनीति तेज: चीन की फंडिंग पर बड़ा हमला, श्रीलंका मॉडल बताया खतरा

Edited By Updated: 13 Dec, 2025 07:26 PM

us senate calls china s sri lanka port role a global warning

अमेरिकी सीनेट ने श्रीलंका के बंदरगाहों में चीन की भूमिका को वैश्विक चेतावनी बताया है। सांसदों ने कहा कि बीजिंग की फंडिंग देशों की संप्रभुता कमजोर करती है। अमेरिका ने श्रीलंका को पारदर्शी साझेदारी और रणनीतिक स्वतंत्रता का समर्थन देने का भरोसा दिया।

International Desk: अमेरिकी सीनेट में इस सप्ताह हुई एक अहम सुनवाई में श्रीलंका के बंदरगाह ढांचे में चीन की भूमिका को लेकर कड़ी चेतावनी दी गई। सांसदों ने इसे बीजिंग की विदेशों में फंडिंग नीति का “खतरनाक उदाहरण” बताते हुए कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट देशों की संप्रभुता और रणनीतिक स्वतंत्रता को कमजोर कर सकते हैं, खासकर Indo-Pacific क्षेत्र में।सीनेट की विदेश संबंध समिति की सुनवाई के दौरान इसके अध्यक्ष जिम रिश ने श्रीलंका में चीन की मौजूदगी को लेकर तीखा बयान देते हुए कहा, “श्रीलंका पूरी दुनिया के लिए पोस्टर चाइल्ड है कि चीन के साथ कारोबार क्यों नहीं करना चाहिए।” उन्होंने यह टिप्पणी चीन द्वारा श्रीलंका में बड़े बंदरगाह प्रोजेक्ट्स को फंड करने के संदर्भ में की।

 

श्रीलंका के लिए अमेरिका के प्रस्तावित राजदूत एरिक मेयर ने कहा कि वॉशिंगटन, कोलंबो को संवेदनशील ढांचागत संपत्तियों पर नियंत्रण बनाए रखने और पारदर्शी साझेदारियों को आगे बढ़ाने में पूरा समर्थन देगा। मेयर ने कहा, “अमेरिका और श्रीलंका के रिश्ते खुले और पारदर्शी हैं। अगर मुझे नियुक्ति मिलती है, तो मैं यह सुनिश्चित करने के लिए काम करूंगा कि श्रीलंका अपनी संप्रभुता बनाए रखे जिसमें बंदरगाह भी शामिल हैं।”जिम रिश ने मेयर से सवाल किया कि क्या श्रीलंका ने चीन की फंडिंग से सबक लिया है। इस पर उन्होंने कहा,“चीन ने पैसे के जरिए श्रीलंका को फंसा लिया।”मेयर ने जवाब में कहा कि श्रीलंका अब अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत करने में रुचि दिखा रहा है और आर्थिक सुधार इस दिशा में अहम हैं।

 

उन्होंने IMF समर्थित सुधार कार्यक्रम को जारी रखने पर जोर देते हुए कहा कि आर्थिक संप्रभुता भी उतनी ही जरूरी है जितनी राजनीतिक संप्रभुता। मेयर ने श्रीलंका की रणनीतिक स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि वह हिंद महासागर के सबसे व्यस्त समुद्री मार्गों पर स्थित है, जहां से दुनिया के करीब दो-तिहाई समुद्री कच्चे तेल का परिवहन होता है। उन्होंने कोलंबो पोर्ट का भी जिक्र किया, जिसकी क्षमता अगले साल बढ़ने वाली है।2022 के आर्थिक संकट और चीन द्वारा निर्मित हंबनटोटा बंदरगाह को लीज पर देने के बाद से श्रीलंका अमेरिका और क्षेत्रीय शक्तियों, विशेषकर भारत, की कड़ी निगरानी में है। वॉशिंगटन अब श्रीलंका के अनुभव को Indo-Pacific में चीन की ‘कर्ज़-जाल कूटनीति’ के खिलाफ एक बड़े सबक और चेतावनी के रूप में पेश कर रहा है।

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