Edited By Pardeep,Updated: 15 Dec, 2025 06:24 AM

रोप इस समय एक ऐसी सच्चाई से दहला हुआ है, जो किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं लगती, लेकिन यह पूरी तरह हकीकत है। एक स्पर्म डोनर ने अनजाने में करीब 197 बच्चों को जन्म दिया, लेकिन उसके साथ ही इन बच्चों को एक घातक जेनेटिक बीमारी भी दे दी, जो आगे चलकर जानलेवा...
इंटरनेशनल डेस्कः यूरोप इस समय एक ऐसी सच्चाई से दहला हुआ है जो किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं लगती, लेकिन यह पूरी तरह हकीकत है। एक स्पर्म डोनर ने अनजाने में करीब 197 बच्चों को जन्म दिया, लेकिन उसके साथ ही इन बच्चों को एक घातक जेनेटिक बीमारी भी दे दी, जो आगे चलकर जानलेवा साबित हो सकती है। यह मामला अब पूरे यूरोप में डर, चिंता और सवालों की वजह बन गया है।
पूरा मामला क्या है?
यूरोपियन ब्रॉडकास्टिंग यूनियन (EBU) की खोजी पत्रकारिता टीम ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट में खुलासा किया है कि डेनमार्क के एक स्पर्म बैंक से लिए गए स्पर्म का इस्तेमाल 14 यूरोपीय देशों के 67 फर्टिलिटी क्लीनिकों में किया गया। इन स्पर्म से अब तक कम से कम 197 बच्चों का जन्म हो चुका है। यह संख्या आगे और बढ़ सकती है। यह जांच BBC समेत 14 सार्वजनिक प्रसारकों ने EBU के इन्वेस्टिगेटिव नेटवर्क के तहत की है।
लेकिन असली खतरा बच्चों की संख्या नहीं, बल्कि उनके डीएनए में छुपी बीमारी है।
जीन में छिपा था मौत का कोड
जिस स्पर्म डोनर से यह शुक्राणु लिया गया था, वह देखने में बिल्कुल स्वस्थ था और उसने सभी सामान्य मेडिकल टेस्ट पास किए थे। लेकिन बाद में सामने आया कि उसके शरीर की कुछ कोशिकाओं में जन्म से ही एक खतरनाक जेनेटिक म्यूटेशन मौजूद था। यह म्यूटेशन TP53 जीन में था। TP53 जीन शरीर में कैंसर को रोकने का काम करता है। डोनर के लगभग 20% शुक्राणुओं में यह खराब जीन मौजूद था। इन स्पर्म से पैदा हुए बच्चों के शरीर की हर एक कोशिका में यह म्यूटेशन पहुंच गया।
Li-Fraumeni Syndrome: नाम छोटा, खतरा बेहद बड़ा
इस जेनेटिक म्यूटेशन को मेडिकल भाषा में Li-Fraumeni Syndrome कहा जाता है। इस बीमारी से जुड़ी सच्चाई बेहद डरावनी है:
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जीवनभर कैंसर होने का खतरा 90% तक
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बचपन में ही कैंसर की शुरुआत संभव
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ब्रेन ट्यूमर का खतरा
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बोन कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का हाई रिस्क
अब तक क्या सामने आया?
अब तक की जांच में 67 बच्चों की जेनेटिक जांच की गई। 23 बच्चों में म्यूटेशन की पुष्टि हुई। 10 बच्चों में कैंसर की पहचान हो चुकी है। कई बच्चों की मौत भी हो चुकी है। यह आंकड़े अभी शुरुआती हैं और आगे और मामले सामने आ सकते हैं।
क्या बचना संभव है?
लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर रिसर्च की प्रोफेसर क्लेयर टर्नबुल के मुताबिक, “यह बीमारी सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक रूप से भी तबाह कर देती है। मरीजों को हर साल MRI, अल्ट्रासाउंड और लगातार जांच से गुजरना पड़ता है। यह डर जीवनभर साथ रहता है।” कुछ मामलों में महिलाओं को एहतियातन ब्रेस्ट हटवाने की सलाह दी जाती है। ताकि भविष्य में कैंसर का खतरा कम किया जा सके
सबसे बड़ा सवाल: जिम्मेदार कौन?
इस पूरे मामले में स्पर्म डोनर को खुद नहीं पता था कि वह इस खतरनाक जीन का वाहक है। स्पर्म बैंक का दावा है कि उस समय जेनेटिक स्क्रीनिंग अनिवार्य नहीं थी। लेकिन अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि क्या स्पर्म डोनेशन जैसे संवेदनशील मामलों में नियम इतने ढीले होने चाहिए? क्या सैकड़ों बच्चों की जिंदगी को जोखिम में डालना सही है?
रहस्य अभी भी अधूरा
EBU की रिपोर्ट के मुताबिक 197 बच्चों का आंकड़ा कम भी हो सकता है। कई देशों से अब तक पूरा डेटा नहीं मिला है। आज यूरोप में सैकड़ों परिवार एक ही डर से जूझ रहे हैं कि कहीं अगला नंबर हमारे बच्चे का तो नहीं?