Edited By Tanuja,Updated: 21 Mar, 2022 03:49 PM
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के चलते सेना ने भी अपने हाथ पीछे खींच...
इस्लामाबादः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के चलते सेना ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने कथित तौर पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की बैठक के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान से इस्तीफा देने को कह दिया है।
पाकिस्तान मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इमरान खान को सत्ता से बाहर करने का फैसला जनरल बाजवा और तीन अन्य वरिष्ठ लेफ्टिनेंट जनरलों ने एक बैठक में लिया था। यह बैठक जनरल बाजवा और देश के खुफिया अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम के इमरान खान से मिलने के बाद हुई थी। रिपोर्टों के मुताबिक इस बैठक में सेना के इन सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने इमरान खान किसी भी तरह की रियायत नहीं देने का फैसला किया है।
जानकारी के अनुसार 11 मार्च को इमरान खान और सेना के बीच दरार सामने आई थी। इमरान ने तब विपक्षी नेताओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करने की आर्मी चीफ जनरल बाजवा की सलाह को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि जनरल बाजवा ने मुझसे कहा कि मैं जेयूआई-एफ नेता मौलाना फजलुर रहमान को 'डीजल' न कहूं लेकिन पाकिस्तान के लोगों ने ही उन्हें डीजल नाम दे दिया है।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी यानी पीटीआई को उम्मीद थी कि इमरान खान की गुजारिश पर पूर्व सेना प्रमुख राहील शरीफ की बाजवा से मुलाकात से समाधान निकलेगा जिससे सरकार बच जाएगी लेकिन राहील शरीफ अपने मिशन में विफल रहे। यही नहीं इमरान खुद सेना की शरण में पहुंचे थे। सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बीच इमरान खान ने शुक्रवार को सेना प्रमुख बाजवा से मुलाकात की थी।
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इस बैठक में OIC शिखर सम्मेलन, बलूचिस्तान में जारी अशांति और इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मंथन हुआ। पाकिस्तानी मीडिया चैनल कैपिटल टीवी ने बताया कि देश में नाजुक राजनीतिक स्थिति के बीच पीटीआई के अधिकांश नेता इस बैठक के नतीजों पर उम्मीदें लगाए बैठे थे। माना जा रहा है कि इस बैठक के पीछे सरकार बचाने की कोशिश ज्यादा थी।