कनाडा में भारतीय छात्राओं को वेश्यावृत्ति में फंसा रहे दलाल

Edited By Seema Sharma,Updated: 19 May, 2023 12:31 PM

pimps luring indian girl students into prostitution in canada

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को यहां सक्रिय वेश्यालयों के दलाल अपना शिकार बना रहे हैं। इन दलालों को स्थानीय भाषा में ‘पिम्प्स’ कहा जाता है। ये यहां ग्रेटर टोरंटो एरिया (जी.टी.ए.) में शैक्षणिक परिसरों, बस स्टॉप्स, कार्यस्थलों और यहां तक कि धार्मिक...

टोरंटो: भारतीय अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को यहां सक्रिय वेश्यालयों के दलाल अपना शिकार बना रहे हैं। इन दलालों को स्थानीय भाषा में ‘पिम्प्स’ कहा जाता है। ये यहां ग्रेटर टोरंटो एरिया (जी.टी.ए.) में शैक्षणिक परिसरों, बस स्टॉप्स, कार्यस्थलों और यहां तक कि धार्मिक स्थलों पर भी अपना शिकार ढूंढते हैं जिनमें दूसरे देशों से पढऩे के लिए आई लड़कियां होती हैं। जी.टी.ए. में भारतीय छात्राओं की सैक्स ट्रैफिकिंग तेजी से बढ़ी है। इसका दुखद पहलू यह है कि इन लड़कियों का शोषण करने वाले पिम्प्स भी इंडो-कैनेडियन समुदाय से हैं। पिछले वर्ष अगस्त में एक 18 वर्ष की भारतीय छात्रा को वेश्यावृत्ति में धकेलने के लिए 3 इंडो-कैनेडियन युवकों को गिरफ्तार किया गया था। ये लोग ‘ऑनलाइन सैक्स सेवा’ चला रहे थे।

 

टोरंटो में ऐसी पीड़ित छात्राओं की मदद के लिए एल्सपैथ हैवर्थ सैंटर चलाने वाली सुंदर सिंह बताती हैं कि एक दलाल को एक लड़की से वर्ष भर में औसतन 2.3 लाख डालर की कमाई होती है। भारतीय रुपए में यह रकम 2 करोड़ रुपए बनती है। इसमें से लड़की को कुछ नहीं मिलता। उसे केवल भोजन और रहने की जगह दी जाती है। असल में वह उनकी बंधक बनकर रह जाती है। वह कहती हैं कि भारतीय छात्राओं का बढ़ता शोषण हमारे लिए चिंता की बात है। 

 

जाल में फंसने के लिए केवल एक रात काफी

सैक्स ट्रेड में फंसने के लिए केवल एक रात काफी होती है। वेश्यालयों के दलाल जिन लड़कियों को फंसाते हैं, उनसे पहले उनके परिवार के बारे में पूरी जानकारी ले लेते हैं और फिर उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू करते हैं। लड़कियों के पास आत्मसमर्पण करने के अलावा और कोई चारा नहीं रहता। 

 

हर महीने 10-12 भारतीय छात्राओं का गर्भपात

ब्रम्प्टन की रहने वाली एक बुजुर्ग इंडो-कैनेडियन महिला के अनुसार उनकी फैमिली नर्स ने उन्हें बताया कि वह हर महीने 10-12 भारतीय छात्राओं के गर्भपात कराती है। ऐसा पहले नहीं था। अब इन मामलों में तेजी आई है। यह भी माना जा रहा है कि कई लड़कियां अपने खर्चे पूरे करने के लिए जानबूझकर इस धंधे में आ रही हैं।

 

अधिकांश छात्राएं पंजाब से

सुंदर सिंह बताती हैं कि कनाडा में जो इंटरनैशनल विद्यार्थी आते हैं, उनमें 90 प्रतिशत छात्राएं होती हैं। इनमें भी अधिकांश पंजाब से हैं। इन लड़कियों के लिए एक बड़े पश्चिमी शहर की संस्कृति एकदम अलग होती है और ये आसानी से पिम्प्स के जाल में फंस जाती हैं।

 

लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाकर मदद

सुंदर सिंह के अनुसार उनका एल्सपैथ हैवर्थ सैंटर इन लड़कियों को मुक्त कराने में मदद करता है। उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे वे कनाडा में 600 डॉलर रोज की नौकरी आसानी से पा सकती हैं। उनका यह केंद्र 1992 से ही कनाडा में काम कर रहा है। 
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!