Edited By Tanuja,Updated: 31 Oct, 2021 05:39 PM
खुफिया एजेंसी ISI के नए प्रमुख की नियुक्ति को लेकर पाकिस्तान की राजनीति इस समय बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर है क्योंकि प्रधान मंत्री
इस्लामाबाद : खुफिया एजेंसी ISI के नए प्रमुख की नियुक्ति को लेकर पाकिस्तान की राजनीति इस समय बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर है क्योंकि प्रधान मंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना के बीच विश्वास की खाई बढ़ती जा रही है। इटालियन राजनीतिक सलाहकार, लेखक और भू-राजनीतिक विशेषज्ञ सर्जियो रेस्टेली ने द टाइम्स ऑफ इज़राइल में लिखा है कि खुफिया एजेंसी के ISI प्रमुख की नियुक्ति पर गतिरोध ने आखिरकार इमरान खान और सेना के बीच संबंधों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
पाकिस्तान में कई दिनों तक राजनीतिक तनातनी के बाद सेना प्रमुख बाजवा ने लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को देश की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का महानिदेशक नियुक्त कर दिया। सर्जियो रेस्टेली की रिपोर्ट के अनुसार नए ISI प्रमुख की नियुक्ति को लेकर पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से अनिश्चितता देखी जा रही है। देश के आम नागरिक भी समझ रहे हैं कि सरकार और सेना के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इतिहास गवाह है कि सेना के मामलों में नागरिक हस्तक्षेप, सेना का राजनीतिकरण करने का प्रयास, सेना के रैंकों में से पसंदीदा का चुनाव का विरोध, अतीत में भी देश के हालात बिगाड़ने में जिम्मेदार रहा है।
राज्य के मामलों में अव्यवस्था को लेकर सैन्य रैंकों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। रेस्टेली ने लिखा, जिस सेना ने इमरान खान के मौजूदा शासन को आगे बढ़ाया अब उसी सरकार को आर्थिक, राजनीतिक-प्रशासनिक और कूटनीतिक भूलों के लिए दोषी ठहराया गया है। इमरान खान ने अपने राजनीतिक हितों और अस्तित्व के लिए सेना की आंतरिक प्रक्रिया और कामकाज में दखल दिया है जो पाकिस्तानी सेना की नजर में अक्षम्य अपराध है।
द टाइम्स ऑफ इज़राइल की रिपोर्ट के अनुसार नवाज़ शरीफ़ इस बात का प्रमाण हैं कि यह स्थिति उस व्यक्ति के लिए बहुत भारी व्यक्तिगत और राजनीतिक कीमत चुकाने पर समाप्त होती है और संभावना है कि इमरान खान के साथभी कुछ ऐसा ही होने वाला है। खान ने नए आईएसआई प्रमुख के चयन का विरोध कर सेना को उनके खिलाफ कदम उठाने के लिए बाध्य कर दिया है । रेस्टेली ने कहा कि इमरान खान मात्र सेना की रबर स्टैंप अथॉरिटी हैं और अगर वह प्रधान मंत्री के रूप में अपनी शक्तियों का प्रयोग करेंगे तो उनका सेना के प्रकोप का भाजन बनना तय है और उनकी कुर्सी किसी भी समय छीनी जा सकती है।