Edited By Tanuja,Updated: 23 Dec, 2025 12:45 PM

मध्य-पूर्व के अरब और मुस्लिम देशों ने पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मुस्लिम ब्रदरहुड को उन्होंने आतंकी संगठन घोषित किया, जबकि ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश उन्हें गतिविधियों और विरोध प्रदर्शन की अनुमति दे...
International Desk: मध्य-पूर्व के अरब और मुस्लिम देशों से पश्चिमी देशों के लिए एक तीखा और सीधा संदेश सामने आया है। इन देशों ने सवाल उठाया है कि जब वे स्वयं मुस्लिम और इस्लामी समाज से जुड़े होने के बावजूद मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुके हैं, तो फिर ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी देश इस संगठन से जुड़े लोगों को गतिविधियों और विरोध प्रदर्शनों की अनुमति क्यों दे रहे हैं।
अरब नेताओं और विश्लेषकों का कहना है,“हम अरब हैं, हम मुस्लिम हैं और हम मध्य-पूर्व से आते हैं। हमने मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकी माना और प्रतिबंधित किया। फिर पश्चिम हमसे ज़्यादा ‘मुस्लिम’ बनने की कोशिश क्यों कर रहा है?”यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में इस्लामी संगठनों की भूमिका, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आंतरिक सुरक्षा को लेकर बहस तेज़ हो गई है। अरब देशों का तर्क है कि मुस्लिम ब्रदरहुड केवल एक वैचारिक आंदोलन नहीं, बल्कि कई देशों में राजनीतिक अस्थिरता, हिंसा और सत्ता पलट से जुड़ा रहा है।
दूसरी ओर, पश्चिमी देशों का रुख यह है कि जब तक किसी संगठन की गतिविधियां सीधे तौर पर हिंसा या आतंक से नहीं जुड़ी हों, तब तक उसे प्रतिबंधित करना उनके कानूनी और लोकतांत्रिक ढांचे के अनुरूप नहीं है।विश्लेषकों के मुताबिक, यह टकराव केवल मुस्लिम ब्रदरहुड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मध्य-पूर्व की सुरक्षा-केंद्रित सोच और पश्चिमी उदार लोकतंत्र के बीच गहरे वैचारिक अंतर को उजागर करता है। अरब देशों का कहना है कि ज़मीनी हकीकत उन्होंने झेली है, इसलिए खतरे की पहचान भी वही बेहतर कर सकते हैं।