15 साल बाद पाकिस्तान जेल से तो छूटा पर दुखों से नहीं...

Edited By Updated: 06 Dec, 2019 07:35 PM

after 15 years pakistan got out of jail but not from misery

मीरां साहिब का तिलक राज 15 साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद घर लौट आया है। घर लौटने के साथ तिलक राज काफी मायूस है। उनका कहना है कि वह पाकिस्तान जेल से तो छूट गया है लेकिन दुखों से नहीं। दरअसल 27 नंवबर को उसके पिता का निधन हो गया। वह पिता के...

जम्मू: मीरां साहिब का तिलक राज 15 साल पाकिस्तान की जेल में रहने के बाद घर लौट आया है। घर लौटने के साथ तिलक राज काफी मायूस है। उनका कहना है कि वह पाकिस्तान जेल से तो छूट गया है लेकिन दुखों से नहीं। दरअसल 27 नंवबर को उसके पिता का निधन हो गया। वह पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नही हो सका। मां कई साल पहले ही चल बसी थी। वहीं पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई। यहां तक उसके पास रहने के लिए घर तक नहीं बचा।

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दरअसल, तिलक राज ने अपनी आप बीती सुनाते हुए कहा कि साल 2004 में विजयपुर इलाके के पांसर पोस्ट से अपने अन्य साथी के साथ अनजाने में सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया था। सीमापार पहुंचने के बाद वह पाकिस्तान के गुजरांवाला शहर के एक होटल में रुका था। लेकिन पाक पुलिस ने होटल में जांच पड़ताल शुरू कर दी और पहचान पत्र नहीं होने पर पुलिस ने उसे पकड़ लिया। पाक सरकार ने जासूसी के आरोप में कई सालों तक उसे जेल में रखा। कड़ी पूछताछ होती रही।

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पाक एजेंसियों आईएसआई व एफआईयू ने कई प्रकार से प्रताड़ित किया। तिलक राज ने बताया कि उसने एजेंसियों को बताया कि वह गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान आ गया था लेकिन किसी ने भी उसकी बात पर विश्वास नहीं किया। पाक सेना ने अवैध रुप से कैद रखने के 4 साल बाद लाहौर की लखपत जेल ले जाया गया और पाकिस्तान कोर्ट में मामला चलता रहा।15 नवंबर को उसकी सजा पूरी होने के बाद उसे रिहा कर दिया गया। भारतीय उच्चायोग की मदद से वह 25 नवंबर को वाघा बार्डर पर पहुंचा कागजी कार्यवाई पूरी करने के बाद 28 को अपने गांव पहुंचा।

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पाक जेल में भारतीय कैदियों को नहीं मिलता अच्छा खाना
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान जेल में बंद भारतीय कैदियों को बेहतर खाना तक नहीं मिलता था और न ही अन्य सुविधाएं। पाकिस्तान कोर्ट ने 14 साल की सजा सुनाई थी। जेल से 10 साल पूर्व रिहा हुए आरएस पुरा के सीमावर्ती गांव के नसीब चंद ने मेरे परिवार को मेरे पाकिस्तान जेल में बंद होने की जानकारी दी। फिर बड़े भाई यशपाल ने भारत सरकार को मेरे बारे में बताया। सजा पूरी होने के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान जेल में तिलकराज को भारतीय पासपोर्ट मुहैया करवाया। पासपोर्ट के आधार पर ही पाकिस्तान ने पुलिस ने वाघा बॉर्डर पर तिलकराज को भारतीय पुलिस के हवाले किया।

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पिता के संस्कार में नहीं पहुंच पाने का रहेगा हमेशा मलाल
तिलक ने बताया कि 25 नवंबर को उसने भारत देश की धरती पर कदम रखा। आखों से आंसू छलक पड़े। अमृतसर पहुंचने के बाद कागजी कार्रवाई के लिए दो दिन पुलिस ने वहीं रोका रखा। 27 को पिता के निधन के बारे में पता चला। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि पिता की मौत एक दिन बाद होती तो वह अंतिम संस्कार में शामिल हो पाता।पिता का संस्कार करने के बाद उसका बड़ा भाई यशपाल उसे लेने अमृतसर आया। 6 दिसंबर को पिता की 10वीं है। उसकी मां कई साल पहले ही चल बसी थी। पाकिस्तान जाने से पहले शादी की थी लेकिन वह भी अब छोड़कर चली गई है।

चचेरे भाई ने किया घर पर कब्जा
पाकिस्तान पकड़े जाने के बाद पिता रामचंद द्घारा कानूनी तौर पर बेदखल करने के बाद अब तिलकराज के पास रहने के लिए अपना घर तक नहीं बचा है। उसके पुश्तैनी घर पर अब उसके चचेरे भाई का कब्जा है। ऐसे मे तिलक अब अपने रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर है।
 

 

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