शनि के ऐसी स्थिति में आने से पड़ता है घोर अकाल, कठिन होता है प्राणियों का बचना!

Edited By ,Updated: 10 Jun, 2016 03:38 PM

shanidev

शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं तथा इनकी महादशा 11 वर्ष की होती है। शनि के अधिदेवता प्रजापिता ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं।

शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं तथा इनकी महादशा 11 वर्ष की होती है। शनि के अधिदेवता प्रजापिता ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण कृष्ण, वाहन गिद्ध तथा रथ लोहे का बना हुआ है। यह एक-एक राशि में 30 महीने रहते हैं। शनि भगवान सूर्य तथा छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। यह क्रूर किन्तु न्याय के ग्रह माने जाते हैं। 
 
ज्योतिष शास्त्र में शनि 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि ग्रह यदि कहीं रोहिणी-शकट भेदन कर दें तो पृथ्वी पर बारह वर्ष घोर दुर्भिक्ष पड़ जाए और प्राणियों का बचना ही कठिन हो जाए। शनि ग्रह जब रोहिणी का भेदन कर बढ़ जाता है तब यह योग आता है। 
 
* शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं तथा इनकी महादशा 19 वर्ष की होती है। 
 
* ज्योतिषीय उपाय हेतु शनिदेव को काला वस्त्र व लोहे की वस्तु अर्पित करें। 
 
* शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय-जप करना चाहिए। 
 
* नीलम धारण करने से भी शनि का प्रकोप शांत होता है।  
 
* ब्राह्मण को तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, नीलम, काली गौ, जूता, कस्तूरी और स्वर्ण का दान देना चाहिए। 

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